बेगूसराय न्यूज़: करीब एक दशक पूर्व खेत की सिंचाई के लिए किसान आसपास के तालाब या नदी पर निर्भर थे.जहां से पंपिग सेट की मदद से पानी खींचकर अपने खेतों की सिंचाई किया करते थे.लेकिन पिछले दशक में खेती में आधुनिक मशीनों के प्रयोग से भूमिगत जल खींच कर फसल सिंचाई का प्रचलन बढ़ गया है.इस वजह से भूमिगत जल का जमकर दोहन हो रहा है.
वैसै बरसात के सीजन को छोड़कर गड्ढा, तालाब व पोखर में इतना पानी भी उपलब्ध नहीं रहता है कि इससे बड़े भूभाग में सिंचाई की जा सके.ग्रामीण व दियारा क्षेत्र में आज भी दर्जनों गड्ढे, पोखर आदि दिख जाते हैं, लेकिन जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव के कारण गर्मी की शुरूआत में जल के ये सभी स्रोत सूखने लगते है.मार्च अप्रैल तक ये सभी सूख जाते हैं.
तापमान बढ़ने से स्थिति हो रही है विकटशाम्हो अकरबरपुर के किसान वाल्मीकि राय, अकहा के रामचंद्र पासवान, सिसौनी के किसान गया सिंह, नागो सिंह, कपिलेश्वर सिंह, उमेश सिंह, सिहमा के किसान नेपाली सिंह जैसे बड़े बुजुर्ग किसानों की माने तो पिछले कई सालों में औसत तापमान में वृद्धि हुई है.पेड़-पौधों के अभाव में और कार्बन डाईआक्साइड जैसे विषैले गैस का उत्सर्जन बढ़ा है.इस वजह से पृथ्वी ज्यादा गर्म हो रही है.
एक कारण और है कि नदी में बड़े पैमाने पर गाद जमा है.इसके निकालने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है.यही वजह है कि जब कई दिनों तक लगातार बारिश होती है तो बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है.जबकि मामूली गर्मी में भी गंगा नदी समेत अन्य नदियों के बीच बालू का टीला दिखने लगता है.
गाद भरने से नदियों के जलधारण की क्षमता 75 प्रतिशत तक घटीनदियों में गाद भरने के कारण नदी की जलधारण क्षमता में 75 प्रतिशत तक की गिरावट देखने को मिल रही है.जलधारण क्षमता में ह्रास के कारण भूमिगत जल स्तर में भी गिरावट दर्ज की जा रही है.यही हालात पोखर व तालाब का भी है.इस स्रोत में भी पहले जितनी गहराई थी उसमें कमी आयी है.यही वजह है कि पानी के स्थायी स्रोत अब बरसाती स्रोत में बदलते जा रहे है.दूसरी ओर शहर के आसपास कुछ साल पूर्व तक गड्ढे की भरमार थी, लेकिन पिछले कुछ सालों में परिदृश्य बदल सा गया है.मंडल कारा के पीछे, लोहियानगर व काली स्थान चौक के पास पहले बड़े-बड़े गड्ढे थे, जहां सालों भर पानी जमा रहता था.लेकिन अब शहर के पानी के निकास के पक्का नाला का प्रयोग किया जाने लगा है.शहर से रोजाना लाखो लीटर पानी इस नाला के माध्यम से दूर खेतों में बहाया जा रहा है.जिस क्षेत्र में पानी गिराया जाता है वह क्षेत्र भले ही सालों भर जलमग्न रहता है लेकिन अन्य क्षेत्र सुखाड़ जैसी स्थिति बनी रहती है.