पुलिसकर्मियों को नहीं मिलेगा इलाज का पूरा खर्च, सीजीएसएच की तय दरों से ही राशि का भुगतान किया जाएगा
पटना: कर्तव्य पर या विधि-व्यवस्था को संभालने के दौरान जख्मी होने या फिर इलाज के क्रम में मृत्यु की सूरत में पुलिसकर्मी के इलाज पर हुआ पूरा खर्च वापस नहीं मिलेगा। उन्हें भी बाकी सरकारी कर्मियों की तरह ही सेंट्रल गर्वमेंट हेल्थ स्कीम (सीजीएसएच) की तय दरों से ही राशि का भुगतान किया जाएगा। यदि इस दर से ज्यादा की राशि इलाज पर खर्च होती है तो भी उन्हें वही रकम वापस की जाएगी जो तय दर के अनुसार बनती है।
गृह विभाग ने भेजा था पूरी राशि देने का प्रस्ताव
पुलिसर्कियों की ड्यूटी कठिन श्रेणी में आती है। अक्सर कर्तव्य के दौरान उन्हें खतरों का सामना करना पड़ता है। कई दफे गंभीर चोट लगती है और तुरंत बेहतर इलाज के लिए बड़े अस्पताल में दाखिल कराना पड़ता है। दूसरे इलाज पर होनेवाला खर्च भी उन्हीं को देना पड़ता है। इसे देखते हुए पुलिस मुख्यालय ने गृह विभाग के माध्यम से कर्तव्य या विधि-व्यवस्था के दौरान जख्मी होने या फिर इलाज के क्रम में मृत्यु होने पर इलाज के पूरे खर्च की प्रतिपूर्ति का प्रस्ताव स्वास्थ्य विभाग को भेजा था।
मख्यालय के अनुसार संशोधन के इस प्रस्ताव पर स्वास्थ्य विभाग की मंजूरी नहीं मिली। विभाग ने वर्ष 2015 और 17 के दो संकल्पों का जिक्र करते हुए ऑन ड्यूटी जख्मी या मृत पुलिसकर्मियों को अन्य सरकारी कर्मियों की तरह ही चिकित्सा में व्यय की गई राशि के नियमानुसार भुगतान की सलाह दी है।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा संशोधन के इस प्रस्ताव पर सहमति नहीं मिलने के बाद पुलिस मुख्यालय ने अपने सभी इकाइयों के साथ रेंज और जिलों को स्थिति स्पष्ट करते हुए एक पत्र लिखा है। एडीजी (बजट, अपील एवं कल्याण) पारसनाथ की ओर से लिखे गए पत्र में साफ तौर पर कहा गया है कि स्वास्थ्य विभाग के उक्त संकल्प में जो प्रावधान हैं उसी के मद्देनजर कार्रवाई की जाए।
एसोसिएशन कैशलेस कार्ड की मांग करता रहा है
पुलिस एसोसिएशन और मेंस एसोसिएशन वर्षों से पुलिसकर्मियों के इलाज के लिए कैशलेस कार्ड की मांग कर रहा है। पुलिस एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार सिंह ने कहा कि पुलिसकर्मियों की तुलना अन्य सरकारी कर्मियों से नहीं होनी चाहिए। समाज में शांति बनाए रखने के लिए पुलिस को अपराधियों, नक्सलियों और असमाजिक तत्वों पर लगाम लगाने के साथ बेकाबू भीड़ का भी सामना करना पड़ता है। ऐसे में हमारे लोग हादसे का शिकार होते रहते हैं।