पीएफआई नेटवर्क का हुआ भंडाफोड़, प्रतिबंधित संगठन की जड़ें बिहार और उसके पड़ोसी राज्यों में कहां-कहां तक हैं फैली

पटना में पीएफआई के एक नेटवर्क का बुधवार को भंडाफोड़ किया गया था। जिसके बाद इस प्रतिबंधित संगठन की जड़ें बिहार और उसके पड़ोसी राज्यों में कहां-कहां फैली हैं

Update: 2022-07-16 15:35 GMT

पटना में पीएफआई के एक नेटवर्क का बुधवार को भंडाफोड़ किया गया था। जिसके बाद इस प्रतिबंधित संगठन की जड़ें बिहार और उसके पड़ोसी राज्यों में कहां-कहां फैली हैं इसको लेकर सघन जांच की जा रही है। अब तक की जांच में खुलासा हुआ है कि बिहार के कई जिलों के अलावा पड़ोसी राज्यों में भी ये प्रतिबंधित संगठन अपनी जड़ें फैला रहा था। पता चला है कि झारखंड में बैन होने के बाद भी पिछले चार सालों से पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया बिहार के अलावा देश के खिलाफ बड़ी साजिश रचने की तैयारी कर रहा था।

बुधवार को पटना पुलिस ने खुलासा किया था कि पीएफआई फुलवारी शरीफ में ट्रेनिंग की आड़ में युवाओं को धार्मिक उन्माद फैलाने और हथियार चलाने की ट्रेनिंग दे रहा था। इतना ही नहीं, जांच में ये भी पता चला है कि झारखंड में बैन के बावजूद वहां से ही बिहार और यूपी सहित कई अन्य राज्यों में पीएफआई के विस्तार के लिए फंडिंग की जाती थी।
गौरतलब है कि झारखंड में सरकार ने इस संगठन पर पहली बार 21 फरवरी 2018 को प्रतिबंध लगाया था। तब सरकार के आदेश के खिलाफ इस संगठन के सदस्य हाइकोर्ट गए थे। जिसके बाद 27 अगस्त 2018 को प्रतिबंध हटा दिया गया, हालांकि तब कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया था कि सरकार त्रुटियों को दूर कर पीएफआई के खिलाफ दोबारा प्रतिबंधि लगा सकती है और सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर सकती है। कोर्ट के निर्देश को अमल में लाते हुए झारखंड सरकार ने तकनीकी त्रुटियों को दूर करते हुए मार्च 2019 में पीएफआई को दोबारा प्रतिबंधित कर दिया गया।
पीएफआई के खिलाफ पटना पुलिस की जांच में ये भी पता चला है कि झारखंड की पीएफआई यूनिट को पहले केरल से फंड आता था, लेकिन समय बदलने और झारखंड में बैन के बावजूद झारखंड से ही न केवल बिहार और उत्तर प्रदेश बल्कि पश्चिम बंगाल और केरल के लिए भी फंडिंग की जा रही है। झारखंड में सुरक्षा बलों के एक बड़े अधिकारी ने बताया कि राज्य के संताल परगना में हो रही 'खनिज लूट' में 25 प्रतिशत राशि पीएफआई तक पहुंच रही है। दरअसल, झारखंड खनिज संपदा से भरपूर है और वहां नक्सल ज्यादा हावी हैं, जिसके कारण ऐसा होता है।
गौरतलब है कि झारखंड में पीएफआई के बैन के बाद भी उसका पॉलिटिकल विंग सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया खूब एक्टिव है। इसके जरिए भी अन्य राज्यों में चलाई जा रही पीएफआई की यूनिट्स तक फंड पहुंचाया जा रहा है। चुनावों में अपने संगठन के सदस्यों को जिताने में भी पीएफआई की भूमिका रहती है।


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