मुंगेर शहर के अंबे चौक के समीप बिहार राज्य पथ परिवहन का कार्यालय और डिपों की स्थिति इन दिनों काफी जर्जर है. सरकार को प्रतिमाह लाखों रुपए का राजस्व देने वाले सरकारी बस डिपो सह कार्यालय पिछले 20 सालों से जर्जर भवन में संचालित हो रहा है. पांच कमरों वालें डिपो की दीवार व छत इस कदर जर्जर हो चुकी हैं कि अक्सर प्लास्टर का टुकड़ा टूट -टूट कर गिरता रहता है. यहां काम करने वाले 60 कर्मचारी और स्टाफ जान जोखिम में डालकर टूट कर गिर रहा प्लास्टर के टुकड़े के बीच काम करने को लाचार है. इनकी सुधि लेने वाले बिहार सरकार के परिवहन मंत्री के अलावा आला अधिकारी भी नहीं है.
तिरपाल लगाकर काम करते हैं कर्मचारी
बस डिपो और कार्यालय की स्थिति इतनी जर्जर है कि आये दिन लोग अपनी जान जोखिम में डालकर काम करते हैं. फिर भी कर्मचारी यहां काम करने को विवश हैं. हालात ये हैं कि कार्यालय में छत के नीचे तिरपाल लगाकर लोग काम कर रहे हैं. ताकि छत उनके ऊपर ना गिर जाए. कर्मचारियों ने बताया कि कई बार इसकी शिकायत की गई है, लेकिन सुनवाई नहीं हुई है. बारिश के दिनों में हालत और खराब हो जाती है. झरने की तरह पानी छत से बहता है. फिर भी हमें यहां काम करना पड़ रहा है.
एक हजार से अधिक यात्री आते हैं रोज
लोगों ने बताया कि इस बस डिपो पर ना तो यात्रिओं के बैठने की व्यवस्था और ना हीं कर्मियों के लिए आराम करने की कोई जगह. यहीं नहीं हर जगह कूड़े का अंबार लगा हुआ है. बारिश के मौसम में यात्रिओं को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है. यात्रिओं का कहना है कि सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए. इस बस डिपो में चार कर्मचारी काम करते हैं. जिसमें दो काउंटर बुकिंग क्लर्क और दो समय पाल हैं. जो अपनी जान हथेली पर लेकर यहां काम कर रहे हैं. इस बस डिपो से हर दिन लगभग 14 बसें चलती हैं. एक हजार से अधिक यात्री आये दिन यहां आते हैं.