Patna: अस्पतालों में अंगदान नहीं होने से प्रत्यारोपण ठप

Update: 2024-08-08 07:48 GMT

पटना: राज्य के अस्पतालों में अंग प्रत्यारोपण नहीं हो पा रहा है. डेढ़ सौ से ज्यादा मरीज इसका इंतजार कर रहे हैं. लेकिन उनको किडनी, लिवर, आंख जैसे अंग नहीं मिल रहे हैं. इसका बड़ा कारण स्वैच्छिक अंगदान न के बराबर होना है.

राज्य में अंगदान को प्रोत्साहित करने और नियंत्रित करने के लिए स्टेट ऑर्गन टिश्यू ट्रांसप्लांट (सोटो) का गठन हुए 10 वर्ष से ज्यादा हो गया है. सोटो द्वारा जागरूकता अभियान चलाने का भी कोई विशेष असर अंगदान अभियान पर नहीं पड़ा है. सोटो के अध्यक्ष आईजीआईएमएस के अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल और संयोजक एकता कुमारी ने बताया कि अबतक राज्य में 115 लोगों का किडनी और एक का लिवर प्रत्यारोपण हुआ है. लिवर प्रत्यारोपण असफल हो गया था. इनमें से मात्र दो का ही ब्रेन डेड अथवा लाइव डोनेशन हुआ है. बाकी सब किडनी प्रत्यारोपण नजदकी रिश्तेदारों के दान से ही संभव हुआ.

लिवर नहीं मिलने से एक भी ट्रांसप्लांट नहीं हो पाया: आईजीआईएमएस में अत्याधुनिक लिवर ट्रांसप्लांट यूनिट की भी स्थापना की गई है. लेकिन अंगदान नहीं होने से यह लगभग ठप पड़ा है. 15 मरीज लिवर ट्रांसप्लांट के लिए इंतजार में हैं. तीन साल पहले यहां एक लिवर ट्रांसप्लांट दिल्ली के मरीज की हुई थी. यह लिवर एक ब्रेन डेड मरीज से मिला था. हालांकि पहला ट्रांसप्लांट असफल साबित हुआ और ट्रांसप्लांट कराने वाले मरीज की मौत हो गई थी. उसके बाद लिवार नहीं मिलने से आतजक एक भी मरीज का लिवर ट्रांसप्लांट नहीं हो पाया.

अंगदान के प्रति जागरूकता के लिए अभियान: किडनी और लिवर प्रत्यारोपण के इंतजार में फिलहाल 73 लोग जीवन और मौत के बीच झूल रहे हैं. इनमें से कई की हालत गंभीर है. लेकिन नजदीकी रिश्तेदार द्वारा किडनी-लिवर नहीं मिलने से वे लोग सोटो कार्यालय में आवेदन दिए हुए हैं. एकता ने बताया कि युवाओं को अंगदान के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सोटो द्वारा अगले पांच वर्षों में सभी सरकारी कॉलेजों में एक केंद्र स्थापित किया जाएगा. हर शहर में खून के क्रॉस मैच सेंटर (अल्कली लैब) स्थापित किया जाएगा.

हर अस्पताल में एक ट्रांसप्लांट को-ऑर्डिनेटर की तैनाती होगी. ये लोग दुर्घटना में घायल ऐसे मरीजों जिनके बचने की संभावना ना हो, के अंगदान के लिए उनके परिजनों को प्रोत्साहित करने का काम करेंगे.

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