Patna: डिजीपिन से सटीक पता मिलेगा और समय पर सभी सेवाएं पहुंचेंगी
डिजीपिन हर पते को मिलेगा 10 अंकों का यूनिक कोड
पटना: अब हर पते का यूनिक कोड होगा. पार्सल या किसी भी सेवा के समय दिए जाने वाले पिन कोड और उससे सटीक पते की जटिलताओें से निजात मिलेगी. अब डिजीपिन से सटीक पता मिलेगा और समय पर सभी सेवाएं पहुंचेंगी. आपदा में भी कम समय में पहुंचकर बचाव कार्य करने में मदद मिलेगी. दरअसल डाक विभाग ने आईआईटी हैदराबाद के सहयोग से डिजिटल पोस्टल इंडेक्स नंबर (डिजीपिन) तैयार किया है. इसमें शहर को ग्रिड में बांट यूनिक क्यूआर कोड और पिन बनाया गया है. इसमें जीपीएस तकनीक से लोकेशन को स्थापित किया जाएगा. हर पते का दस अंकों का डिजीपिन स्वत ही जीपीएस तकनीक से लोकेट कर लिया जाएगा.
लोकेशन ट्रैक करने में मिलेगी मदद बकौल मुख्य डाक महाध्यक्ष अनिल कुमार आपदा के समय लोकेशन ट्रैक करने में परेशानी होती है. क्यूआर कोड की मदद से आपदा वाली जगह का सटीक लोकशन ट्रैक होगा. बीटा वर्जन भी जारी हो गया है.
इसमें जीपीएस तकनीक का इस्तेमाल होगा. हर पते के लिए दस डिजिट का पिन होगा. आपदा के समय या अन्य सेवाएं पहुंचाने में आसानी होगी. -अनिल कुमार, मुख्य डाक महाध्यक्ष, बिहार डाक परिमंडल
डिजीपिन डिजिटल पोस्टल इंडेक्स नंबर है. यह जियो कोडेड एड्रेसिंग सिस्टम को विकसित करने को बनाया गया है. जीपीएस की मदद से यह किसी पते के लैटीट्यूट और लॉन्गीट्यूड को इनकोड करके लोकेशन का पता लगाएगा. कुल 16 अल्फाबेट और अंक होंगे. पूरे भारत को 16 रीजन में बांटा गया है. पहला कैरेक्टर रीजन, दूसरा सब रीजन और बाद के 8 कैरेक्टर लैटीट्यूट और लॉन्गीट्यूड से भोगौलिक क्षेत्र का लोकेशन स्थापित करेंगे.
पिन कोड से कैसे अलग होगा डिजीपिन: पिन कोड का पहला अंक क्षेत्र, दूसरा उपक्षेत्र, तीसरा उस क्षेत्र के भीतर स्थित पार्सल की छटाई वाले जिले को दर्शाता है. अंतिम तीन अंक उस जिले के भीतर विशिष्ट डाकघर को दर्शाते हैं. ऐसे में डाकघर से पार्सल लेकर निकलने के बाद सटीक पता लगाने में समस्या होती है. डिजीपिन दो छोड़ बाकी के कैरेक्टर पते की सटीक जानकारी को दर्शाएंगे.