Patna: सरकारी भवनों के रखरखाव की भी नीति बन रही

मंजूरी मिलने के बाद राज्य मंत्रिपरिषद की स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा

Update: 2024-07-30 07:00 GMT

पटना: बिहार में सड़कों की तरह ही सरकारी भवनों के रखरखाव की भी नीति बन रही है. इस नीति के अंतर्गत सभी प्रकार के सरकारी भवनों के रखरखाव और प्रबंधन की व्यवस्था के प्रावधान किए जा रहे हैं.

भवन निर्माण विभाग इस नीति को अंतिम रूप देने में जुटा है. प्रारूप को विभागीय स्तर पर मंजूरी मिलने के बाद राज्य मंत्रिपरिषद की स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा. इसके बाद यह नीति पूरे बिहार में लागू हो जाएगी.

ठेकेदार ही पांच साल तक रखरखाव करेंगे जानकारी के अनुसार सरकारी भवनों के निर्माणकर्ता ठेकेदार को ही भवन निर्माण के बाद अगले पांच साल तक उसके रखरखाव की जिम्मेदारी संभालनी होगी. इसके लिए भवन निर्माण के लिए जारी होने वाली निविदा में ही प्रावधान कर दिया जाएगा. उन भवनों के रखरखाव पर होने वाला खर्च निर्माणकर्ता को ही वहन करना होगा. इनमें नए सरकारी भवनों के साथ ही पुराने ऐतिहासिक भवन भी शामिल किए जाएंगे. समय-समय पर निर्माणकर्ता की ओर से सरकारी भवनों की जांच करानी होगी और उसकी रिपोर्ट भवन निर्माण विभाग को देनी होगी. वहीं, विभागीय इंजीनियर भी समय-समय पर भवन के रखरखाव और अन्य पहलुओं की जांच करेंगे.

भवन निर्माण विभाग के सूत्रों के मुताबिक सरकारी भवनों के रखरखाव की नीति के अंतर्गत ही इसके निर्माणकर्ता को उस परिसर के साफ सफाई और सुरक्षा की जिम्मेदारी भी सौंपी जाएगी. बताया गया कि सरकारी भवनों के परिसर में साज-सज्जा और फुलवारी इत्यादि की भी देखभाल की भी जिम्मेदारी निर्माणकर्ता को सौंपी जाएगी. ताकि परिसर में किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो और उसकी देखभाल की जिम्मेदारी तय की जा सके.

जहानाबाद और वैशाली में पायलट प्रोजेक्ट: विभागीय सूत्रों के अनुसार जहानाबाद और वैशाली में सरकारी भवनों के रखरखाव की नीति के प्रारूप को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया गया है. इसके बाद, इससे मिले फीडबैक के आधार पर विभाग की उच्च स्तरीय बैठक में नीति के प्रारूप में परिवर्तन भी किए गए है. भवन निर्माण विभाग की ओर से रखरखाव की एक समग्र नीति तैयार करने प्रयास किया जा रहा है. जिससे नए व पुराने सभी प्रकार के भवनों की देखभाल सुनिश्चित की जा सके.

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