Patna: 47 सौ परिवारों की ‘जीविका’ से बढ़ी आमदनी

सम्मान की जिंदगी जी रही हैैं गीता दीदी

Update: 2024-11-18 07:29 GMT

पटना: जीविका नाम ही काफी है. जीविका सतत जीविकोपार्जन से जिले के 47 सौ परिवारों की जिंदगी बदल चुकी है. कल तक आर्थिक तंगी झेलने वाली महिलाएं आज खुशहाल हो गयी हैं. दाने-दाने की मुहंजात हजारों महिलाएं आर्थिक तंगी से बाहर निकलकर परिवार की नैया खेव रही हैं. खुद कमाकर परिवार चला रही हैं. साथ ही कारोबार भी बढ़ा रही हैं.

कोई शृंगार दुकान तो कोई बकरीपालन कर साल में लाखों रुपये कमा रही हैं. ग्रोसरी दुकान से 1152, शृंगार दुकान से 661, बकरी पालन से 2170, गोपालन से 204, सब्जी दुकान से 268 तो किराना दुकान से 265 महिलाएं किराना दुकान तो 268 सब्जी दुकान चला रही है.

विशेष अभियान फरवरी 2023 में जीविका सतत जीविकोपार्जन योजना के तहत विशेष अभियान चलाया जा रहा था. गांव में घूमने के दौरान गीता देवी के बारे में पता चला. भीख मांग कर जैसे तैसे परिवार चलाने की जानकारी मिली. वे जीविका से जुड़ीं. आज वे गांव में सम्मान की जीवन जी रही हैं. एक ही दुकान में पांच तरह का रोजगार मुर्गी पालन, किराना से संबंधित दुकान व अन्य कारोबार कर रही हैं. उनका छोटा लड़का 12 वीं पास कर गया है. आज गीता दीदी अन्य लोगों के लिए नजीर बन चुकी है.

रोजगार से जुड़ीं महिलाएं

किराना दुकान 1417

शृंगार दुकान 661

बकरी पालन 2170

डेयरी 204

सब्जी कारोबार 268

राजगीर दरियापुर की गीता दीदी के पति मजदूरी करते थे और दीदी भी खेत में काम करती थी. दोनों मिलकर किसी तरह से घर चलाते थे. लेकिन, 2005 में दीदी के पति की मौत हो गयी. मौत के दिन भी उन्होंने मजदूरी की थी. वो मजदूरी कर के शाम में घर आए. कुछ देर बाद उनके दोस्त आए और दीदी के पति को अपने साथ ले गए. वो पूरी रात घर नहीं आए. सुबह पता चला कि किसी ने उनको दारू में कुछ मिला के पीला दिया था. इससे उनकी मौत हो गई थी. मौत होने बाद दीदी को उनके पति की लाश तक नहीं मिली. इसके बाद दीदी बिल्कुल आसहाय हो गयी थी. दीदी अपने बच्चों का पेट भरने के लिए राजगीर में ही घूम घूम कर भीख मांगने लगी.

जीविका सतत जीविकोपार्जन से आज हजारों महिलाएं स्वावलंबी व स्वाभिमान की जिंदगी जी रही हैं. खुद के दम पर परिवार का भरण पोषण कर रही हैं. सिलाव प्रखंड की शांति देवी, सुशीला देवी, राजगीर की गीता देवी, प्रीति देवी, सुनीता देवी जैसी हजारों दीदी मिसाल बन चुकी हैं.

-संजय पासवान, डीपीएम, नालंदा

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