अमित शाह के जेपी के गांव आने पर नीतीश ने कहा, इससे मेरा कोई लेना-देना नहीं
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पटना। लोकनायक जयप्रकाश नारायण की पुण्यतिथि के अवसर पर गांधी मैदान में उनकी प्रतिमा पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पर पत्रकारों से बातचीत में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के सिताब दियारा दौरे पर मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई सिताब दियारा जाय, इससे मेरा कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि सिताब दियारा में हमलोग कई काम करवा रहे हैं। थोड़ा काम उत्तर प्रदेश की तरफ के क्षेत्र में बचा हुआ है। इसको लेकर हमने उत्तर प्रदेश सरकार से अनुरोध किया है कि इसे तेजी से करवाईये। ये सब काम हो जाने से लोकनायक जयप्रकाश नारायण का गांव और विकसित हो जायेगा। प्रशांत किशोर के ऑफर वाले बयान पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सब गलत बात है, वे ऐसे ही बोलते रहते हैं। उनकी जो मर्जी हो बोलते रहें, हमलोगों को उनसे कोई लेना- देना नहीं है। प्रशांत किशोर मेरे साथ मेरे घर पर रहते थे। उन पर हम क्या बोलें? उन्होंने चार साल पहले आकर कहा था कि जदयू का कांग्रेस में विलय कर दीजिए। इन लोगों का कोई ठौर-ठिकाना नहीं है। आज कल वे भाजपा के साथ गये हैं तो उसी के हिसाब से कह रहे हैं। उनको राजनीति से कोई मतलब नहीं है। वे भीतर से भाजपा का काम कर रहे हैं। इसलिए हमलोगों का विरोध कर रहे हैं। नीतीश ने कहा कि सीबीआई लालू प्रसाद यादव के खिलाफ चार्जशीट इसलिए दायर कर रही है क्योंकि हम लोगों एकसाथ आ गए हैं। पांच साल पहले भी सीबीआई ने छापेमारी की थी लेकिन उसमें कुछ नहीं हुआ। ये कोई तरीका है ? हमलोग एक साथ आये हैं इसलिए यह सब हो रहा है? इन सब चीजों पर हमलोग क्या कहेंगे? इन लोगों की जो मर्जी होती है, वो सब करते रहते हैं। इन सब चीजों का कोई मतलब नहीं है। नगर निकायों में आरक्षण के भाजपा नेताओं के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा के नेता गलत बोल रहे हैं। हमलोगों ने सभी पार्टियों से विचार विमर्श कर वर्ष 2006 में इसको लेकर कानून बनाया था।
वर्ष 2000 में जब राबड़ी देवी मुख्यमंत्री थीं तो उन्होंने ओबीसी को आरक्षण दिया था। उस कानून को कोर्ट में चैलेंज किया गया था, जिस पर कोर्ट ने रोक लगा दी थी। हमलोग जब वर्ष 2005 में सत्ता में आये तो हमने सबकी राय से ईबीसी को आरक्षण दिया। यह हमलोगों का व्यक्तिगत फैसला नहीं था, सभी की राय से ये निर्णय लिया गया था। उस समय भाजपा भी साथ थी। सीएम ने कहा कि वर्ष 2006 के पंचायत चुनाव के बाद वर्ष 2007 में नगर निकायों में इसे लागू किया गया। इस कानून के खिलाफ कई लोग हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट गये लेकिन दोनों कोर्ट ने उनकी याचिका को रिजेक्ट कर दिया। इस कानून के आधार पर चार बार पंचायत का और तीन बार नगर निकायों का चुनाव कराया जा चुका है। बिहार में ओबीसी और ईबीसी की बात काफी पुरानी है। सबसे पहले 1978 में जब जननायक स्व कर्पूरी ठाकुर मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने ईबीसी को आरक्षण का लाभ दिया था। कोई अन्य राज्य सरकार अगर आज इसे कर रही है तो इससे क्या मतलब है? बिहार में यह वर्ष 1978 से ही लागू है। एनडीए की सरकार में नगर विकास विभाग का जिम्मा किसके पास था? कुछ लोग रोज बोलते रहते हैं ताकि दिल्ली वाले उनकी मदद कर दे। वर्ष 2006-07 में नगर विकास मंत्री कौन थे? सीएम ने कहा कि भाजपा जब-जब साथ थी तो नगर विकास विभाग उन्हीं के पास था। ये लोग आज ये सब बातें क्यों कर रहे हैं। उस समय सुशील कुमार मोदी उप मुख्यमंत्री होने के साथ ही नगर विकास विभाग के भी मंत्री थे। वे इसे भूल गये? आप लोग अपनी पुरानी खबरों को देख लीजिए, सभी चीजें पता चल जायेगी। बिहार के ईबीसी में अल्पसंख्यक समाज के लोग भी शामिल हैं। बिहार सरकार एक बार कोर्ट से अनुरोध करेगी कि इसे देख लीजिए, बिहार में काफी पहले से यह लागू है। इस कानून को पहले हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट एप्रूवल दे चुका है तो फिर नयी बात कैसे की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ लोग पहले राजद, फिर जदयू और अब भाजपा में शामिल हुये है। वे क्या-क्या बोलते रहते हैं? उनके पिता को हमलोगों ने समता पार्टी में इज्जत दी थी। जिनके लिए हमने बहुत कुछ किया है वे उसे भूल जाते हैं। कुछ लोग अपनी पब्लिसिटी के लिए भी कुछ-कुछ बोलते रहते हैं। उन्होंने कहा कि मीडिया पर भी केंद्र का नियंत्रण हो गया है।