शराबबंदी को लेकर अब शराब से ज्यादा तस्करों पर होगी सरकारी अमले की नजर, जानें ये बदलाव है खास

बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद विधेयक, 2022 के जरिए राज्य सरकार ने शराबबंदी को पुख्ता करने के लिए दूर की कौड़ी खेली है।

Update: 2022-04-01 05:58 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद (संशोधन) विधेयक, 2022 के जरिए राज्य सरकार ने शराबबंदी को पुख्ता करने के लिए दूर की कौड़ी खेली है। इस विधेयक के पारित होने के बाद सरकारी अमले की नजर शराब के शिकार से ज्यादा शिकारियों पर रहेगी। शराबबंदी लागू होने के बाद भी शराब का धंधा बदस्तूर चला रहे धंधेबाजों को कानून के चौखटे तक पहुंचाने में पुलिस को आसानी होगी।

नए संशोधन के जरिए प्रावधान किया गया है कि पहली बार शराब पीते पकड़े जाने पर केवल जुर्माना लेकर छोड़ दिया जाएगा। अगली बार से जेल होगी। इससे अदालत में शराबंबदी से जुड़े केसों की संख्या कम होगी और शराब का रैकेट चलाने वालों को जल्द सजा दिलायी जा सकेगी। इसके अलावा गाहे-बगाहे लत में फंसकर शराब पीने वाले भी बाज आएंगे। क्योंकि पहली बार जुर्माना देकर छूटते ही उनके जेहन में खतरे की घंटी बजेगी कि अगली बार सीधे जेल की हवा खानी पड़ेगी। आगे भी रियायत शराब कारोबारी का ठिकाना बताने के बाद ही मिलेगी।
दूसरी ओर शराब पीने वालों से मुकदमों के अंबार में भी कमी आएगी। हालांकि अभी यह तय नहीं है कि जुर्माना कितना होगा। जुर्माना नहीं देने पर एक माह कारावास की सजा होगी। शराब पीने के आरोप में पकड़े गए शख्स को नजदीक के कार्यपालक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाएगा। वह जुर्माना की राशि जमा करा देता है तो उसे छोड़ा जा सकता है। यह उसका अधिकार नहीं होगा। गिरफ्तार करनेवाले पदाधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर यह निर्णय मजिस्ट्रेट द्वारा लिया जाएगा कि उसे मुक्त किया जाए या नहीं। शराबबंदी कानून के तहत दर्ज मामलों का अनुसंधान एएसआई रैंक से नीचे के पुलिस या उत्पाद विभाग के अधिकारी नहीं कर सकते।
ये बदलाव हैं खास
आगे एएसआई भी शराबबंदी वाले स्थान को सील कर सकेंगे। पहले एएसआई से ऊपर के अधिकारियों को ही यह अधिकार था।
शराब की बिक्री संगठित अपराध की श्रेणी में आ गई है। इसमें लगे लोगों पर कार्रवाई करते हुए उनकी संपत्ति जब्त होगी।
बरामद होने के साथ ही शराब नष्ट करने का प्रावधान किया गया है। अभी तक इसे स्टोर किया जाता था।
डीएम भी जुर्माना ले वाहनों को छोड़ सकेंगे। पहले कोर्ट से वाहन छूटते थे।
विधेयक में ड्रोन से ली गई तस्वीर को भी सबूत की श्रेणी में रखने का प्रावधान किया गया
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