नीतीश के मंत्री की मदरसा शिक्षा पर सफाई, कहा- बिना किसी प्रमाण के प्रश्नचिह्न लगाना उचित नहीं, केंद्र सरकार ने भी माना है रोल मॉडल
बिहार के शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने मदरसा शिक्षा के बारे में किसी भी भ्रांति को अनुचित बताया है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बिहार के शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने मदरसा शिक्षा के बारे में किसी भी भ्रांति को अनुचित बताया है। शुक्रवार को उन्होंने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 30 अल्पसंख्यक वर्गों को धर्म या भाषा पर आधारित अपनी रुचि को लेकर शिक्षा संस्थानों की स्थापना और प्रशासन का अधिकार देता है तथा इन संस्थानों को सहायता देने के मामले में विभेद नहीं करने की अपेक्षा करता है।
चौधरी ने बताया कि नीतीश सरकार की 'बिहार राज्य मदरसा सुदृढ़ीकरण' योजना के तहत राज्य के मदरसों में परंपरागत विषयों के साथ-साथ हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान आदि विषयों के पाठ्यक्रम भी पढ़ाए जाते हैं। मदरसा में छात्र-छात्राओं को दीनी किताब के अलावा वर्ग एक से आठ तक एससीईआरटी जबकि कक्षा 9 से 12वीं तक एनसीईआरटी द्वारा विकसित पुस्तकें पढ़ाई जाती हैं।
इसके अलावा यूनीसेफ के सहयोग से तालीम-ए-नौबालीगान के तहत मदरसों में आधुनिक एवं समसामयिक विषयों के संबंध में जागरूकता का कार्यक्रम चलाया जा रहा है। हाल ही में केन्द्र सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय द्वारा बिहार के मदरसों में हो रहे सुधार की सराहना करते हुए इसे रोल मॉडल (अनुकरणीय) बताया गया है।
ऐसी परिस्थिति में बिहार के मदरसा शिक्षा के संबंध में बिना किसी प्रमाण के प्रश्नचिह्न लगाना उचित नहीं। कहा कि मदरसा या कोई अन्य शैक्षणिक संस्थान में कोई गैर कानूनी गतिविधि होती है तो उसके लिए कानूनी प्रावधान पहले से ही है। मदरसों के माध्यम से अल्पसंख्यक समाज के बच्चे सुशिक्षित होंगे तभी उनमें राष्ट्रप्रेम की भावना जागृत होगी और हमारा समाज मजबूत होगा।