पश्चिमी चंपारण में नो मेंस लैंड पर नेपालियों ने किया कब्जा, बैरिकेडिंग कर लगाए धार्मिक झंडे-बैनर

भारत-नेपाल बॉर्डर के भिखनाठोरी में नो मेंस लैंड पर नेपालियों ने जमीन पर अतिक्रमण कर लिया है।

Update: 2022-04-30 05:24 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारत-नेपाल बॉर्डर के भिखनाठोरी में नो मेंस लैंड पर नेपालियों ने जमीन पर अतिक्रमण कर लिया है। नेपाली क्षेत्र के सीताखोला के पास नो मेंस लैंड पर बैरिकेडिंग कर झंडे लगा दिये गए हैं। नेपाल के पूर्व पीएम केपी ओली ने जुलाई 2020 में बयान दिया था कि भगवान राम का जन्म नेपाल में हुआ था। उन्होंने दावा किया था कि जिस अयोध्या में राम का जन्म हुआ था वह वीरगंज के पश्चिम में स्थित गांव ठोरी है।

उन्होंने यहां मंदिर बनवाने की घोषणा भी की थी। इससे ठोरी का सीतखोला सुर्खियों में आ गया। लोग यहां पूजा-पाठ करने लगे। माना जा रहा है कि स्थानीय लोग पिलर संख्या-436 के समीप सीताखोला के पास मंदिर बनाने की तैयारी कर रहे हैं। नो मेंस लैंड पर अतिक्रमण की खुफिया सूचना के बाद पश्चिमी चंपारण के नरकटियागंज एसडीएम धनंजय कुमार अधिकारियों की टीम के साथ मौके पर पहुंचे।
उन्होंने नेपाली अधिकारियों के साथ बैठक कर अतिक्रमण हटवाया। एसडीएम ने शुक्रवार को बताया कि पिलर संख्या-436 के पास बैरिकेडिंग कर कुछ धार्मिक झंडे-बैनर आदि लगाये गए थे। नेपाली अधिकारियों से बातचीत कर नो मेंस लैंड से अतिक्रमण हटवाया गया है। एसएसबी के जवान बॉर्डर पर लगातार नजर बनाये हुए हैं।
बॉर्डर पर बार-बार विवाद
भिखनाठोरी बॉर्डर पर कई बार विवाद की स्थिति बन चुकी है। दोनों देशों के लोगों के बीच कई बार मामला मारपीट तक पहुंच चुका है। वर्ष 2005-06 में भी यहां विवाद हुआ था। पिलर संख्या-483 के बगल में नेपालियों ने एसएसबी का कैंप नहीं बनने दिया था। कैंप वाले स्थल पर माओवादियों ने रातोंरात नेपाली झंडे लगा दिए थे। पैमाइश के लिए दोनों देशों की सर्वे टीम बुलानी पड़ी थी। पानी को लेकर भी यहां कई बार विवाद हो चुका है।
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