Nalanda: तेज़ गर्मी से नालंदा के मशरूम उत्पादन पर काफी असर पड़ा

तीखी धूप के कारण बाजार तक तैयार उपज को पहुंचाना भी चुनौती

Update: 2024-06-03 03:36 GMT

नालंदा: गर्मी से नालंदा के मशरूम उत्पादक बेहाल हैं. उत्पादन पर काफी असर पड़ा है. हद तो यह कि अहले सुबह से निकल रही तीखी धूप के कारण बाजार तक तैयार उपज को पहुंचाना भी चुनौती बन गयी है. समस्या यह कि एक दिन में मशरूम बिका तो ठीक. वरना, खराब हो जाता है. यही कारण है कि दुकानदार भी बिक्री करने में हाथ खड़े कर रहे हैं. चंडी के अनंतपुर गांव की मशरूम लेडी के नाम से चर्चित अनीता देवी, माधोपुर के संजय कुमार, नूरसराय के विनीत कुमार कहते हैं कि इस सीजन में घरों में आयस्टर मशरूम की खेती नहीं होती है. लेकिन, जिन किसानों के पास क्लाइमेट कंट्रोल यूनिट है, वे आयस्टर के साथ बटन मशरूम तैयार जरूर करते हैं.

समस्या यह कि आग उगलती गर्मी और गर्म हवा के कारण वतानुकूलित यूनिट में भी तापमान को मेंटेन रखना किसी चुनौती से कम नहीं है. मशरूम की खेती के लिए घंटे में कम से कम एक बार फ्रेश हवा (बाहर के) यूनिट में देना जरूरी होता है. ताकि, कार्बन डाइऑक्साइड की अधिकता न हो. परेशानी यह कि सुबह हो या देर रात 35 से 36 डिग्री से कम तापमान नहीं रहता है. नतीजा, बाहरी हवा के यूनिट में जाते ही तापमान बढ़ जाता है. पुन: पौधों के अनुकूल तापमान को बनाने में काफी वक्त लग जाता है. . बटन प्रजाति के मशरूम की खेती 12 से 15 डिग्री तो आयस्टर की खेती 18 डिग्री से लेकर 30 डिग्री तापमान में की जाती है. बटन मशरूम की यूनिट के संचालकों का कहना हैं कि गर्मी के कारण बिजली और जेनरेटर का खर्च काफी बढ़ गया है. जाड़े में तीन से साढ़े तीन हजार तो अभी 15 हजार से अधिक का बिल हर माह चुकाना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि अहले सुबह से ही तीखी धूप निकलने के कारण बाजार तक मशरूम को पहुंचाने में भी परेशानी उठानी पड़ रही है.

जिन दुकानदारों के पास फ्रीजर नहीं है, वे मशरूम खरीदने में हिचकते हैं. वजह, शाम तक नहीं बिकने पर फेंकने की नौबत आ जाती है.

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