Munger: जमालपुर कारखाना बड़े सौर संयंत्र कारखानों में शुमार हुआ

चार मंडल और तीन वर्कशॉप में संयत्र स्थापित

Update: 2024-08-22 08:52 GMT

मुंगेर: पूर्व रेलवे (ईआर), कोलकाता प्रशासन ने स्टेशनों व वकॅशॉपों को सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना कर कार्बन पदचिह्न और गैर-नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता में काफी कम कर दी है. इस स्थायी ऊर्जा पहल से सौर ऊर्जा उत्पादन में तेजी से वृद्धि हुई है. इसमें जमालपुर कारखाना बड़े सौर संयंत्र कारखानों में शुमार हुआ है.

ईआर प्रशासन ने चार मंडलों व तीन वर्कशॉपों में इसकी स्थापना कर 2023-24 (अप्रैल-जून) की पहली तिमाही में ही करीब 61,45,079 किलोवाट सौर ऊर्जा उत्पन्न करने में समक्ष हुई है. बीते वर्ष की समान अवधि में 26,80,003 किलोवाट से अधिक है. यह वृद्धि सौर पैनलों के सफल कार्यान्वयन को उजागर करती है, जो क्षेत्र में ऊर्जा स्थिरता में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है. वहीं जमालपुर वर्कशॉप 3.7 मेगावाट पी की क्षमता के साथ खड़ा है. गौरतलब है कि नेट-मीटरिंग पर सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत भारतीय रेलवे के भीतर ही स्थान पर सबसे बड़े सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना पूर्वी रेलवे की टिकाऊ ऊर्जा प्रथाओं के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाती है. करीब 5.43/केडब्लूएच की किफायती दर पर टैरिफ सेट के साथ, यह पहल पूर्वी रेलवे के बिजली उत्पादन के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव है.

टैरिफ के आधार पर 1.28 करोड़ बचत: जमालपुर कारखाना अब इस सौर संयंत्रों से जहां प्रतिवर्ष अनुमानित 4321 मीट्रिक टन कार्बन उत्सर्जन को निष्क्रिय करेगा. वहीं सौर ऊर्जा संयंत्र से प्रति वर्ष लगभग 54 लाख यूनिट बिजली पैदा करेगा. 60-70 प्रतिशत बिजल की खपत कम होगी. इसका परिणाम यह होगा कि कारखाना एसबीपीडीसीएल टैरिफ के आधार पर 1.28 करोड़ बचत करेगा. कारखाना प्रशासन ने इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टरेट जनरल (ईआईजी) से अपेक्षित अनुमोदन के बाद, जमालपुर वर्कशाप में विद्युत विभाग ने आधिकारिक तौर पर 33 केवी पर सौर ऊर्जा संयंत्र को राज्य डिस्कॉम (एसबीपीडीसीएल) से जोड़ा है.

सौर ऊर्जा क्रांति ने कार्बन पदचिह्न में कटौती की है तथा ऊर्जा का वैकल्पिक स्रोत बनाने में हम कामयाब हुए हैं. इसमें जमालपुर कारखाना ने इस उपलब्धि ऊर्जा प्रबंधन में स्थिरता और नवाचार के प्रति हमारे समर्पण का प्रमाण दिया है. रेलवे परिचालन के लिए हरित और अधिक टिकाऊ भविष्य की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है.

-कौशिक मित्रा, सीपीआरओ, पूर्व रेलवे कोलकाता

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