Motihari: स्कूल में कुछ लोगों ने अवैध रूप से कब्जा कर उसे खलिहान बना दिया
"अधिकारी मौन"
मोतिहारी: राज्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मुहैया कराने के लिए सरकार द्वारा सभी तरह के सकारात्मक पहल किये जाने के बावजूद यह धरातल पर नहीं उतर रहा है. ताजा मामला हरलाखी प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय दुर्गापट्टी गांव का है. यहां दुर्गापट्टी गांव वार्ड नंबर 12 में एनएच 227 सड़क किनारे स्थित मध्य विद्यालय के बने बनाए भवन पर कुछ लोगों ने अवैध रूप से कब्जा कर उसे खलिहान बना दिया है. इनदिनों विद्यालय परिसर में धान व पुआल के ढ़ेर रखे हैं. जहां थ्रेसरिंग का कार्य भी होता है. इतना ही नहीं विद्यालय भवन में शैक्षणिक कार्य नहीं होने के कारण कुछ लोग डेरा डालकर अपने पालतू पशुओं के साथ रह भी रहे हैं. भवन के कई कमरे में मवेशी का चारा तो कुछ में मवेशी बांधी जा रही है. बावजूद संबंधित पदाधिकारी व विद्यालय के एचएम मूकदर्शक बने हुए हैं.
हालांकि एचएम का कहना है कि वे इस बारे में विभाग के लिखकर दे चुके हैं. दुर्गापट्टी गांव होकर एनएच सड़क गुजरती है और विद्यालय का भवन सड़क के दोनों तरफ है. विद्यालय में वर्ग एक से आठ तक कुल 280 बच्चे नामांकित हैं. बच्चों की कम संख्या के कारण विद्यालय के एक भवन में ही वर्ग संचालन हो जाती है. स्थानीय कुछ लोग बारी-बारी से भवन पर अवैध कब्जा कर उसे भैंसों के तबेले में तब्दील कर दिया. लेकिन अब धान कटाई के मौसम में लोग उसे खलिहान के रूप में उपयोग कर रहे हैं. इसकी पड़ताल की गई तो प्रधानाध्यापक छुट्टी पर थे. विद्यालय के प्रभार में शिक्षक आमोद कुमार थे. उन्होंने बताया कि विद्यालय के ओर से कब्जा करने वाले लोगों को कई बार चेतावनी दी गई है. बावजूद मामला जस का तस बना हुआ है.
गांव के अंदर संचालित है तीन सरकारी विद्यालय: चार वार्ड वाले इस गांव में तीन विद्यालय संचालित है. जिसमे नवसृजित प्राथमिक विद्यालय, प्राथमिक विद्यालय उर्दू व मध्य विद्यालय शामिल है. नवसृजित प्राथमिक विद्यालय में कुल 92 बच्चें नामांकित है. जबकि विद्यालय में तीन शिक्षक नियुक्त है. जो स्थानीय हैं. वहीं प्राथमिक विद्यालय उर्दू में 78 बच्चें नामांकित हैं. यहां चार शिक्षक नियुक्त है. यहां के सभी शिक्षक बाहरी हैं. जो आस पास में डेरा लेकर रहते हैं. तीसरा मध्य विद्यालय हैं. जो एनएच सड़क के दोनों तरफ है. यहां कुल 280 बच्चें नामांकित हैं. यहां कुल दस शिक्षक हैं. जिसमे तीन बाहरी हैं. जो विभिन्न जगहों पर डेरा लेकर रहते हैं.