बिहार में मानसून कभी भी दे सकती है दस्तक, बाढ़ की तबाही से बचने के लिए नाव बनाने में जुटे मधुबनी के लोग
बिहार में मानसून दस्तक देने के कगार पर है। सप्ताहभर में मानसून आने की संभावना है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बिहार में मानसून दस्तक देने के कगार पर है। सप्ताहभर में मानसून आने की संभावना है। मधुबनी जिले में तटबंध के अंदर के गांवों में लोगों को नदी की उफनती धाराओं का खौफ सताने लगा है।
कोसी क्षेत्र के दस पंयचायतों के करीब एक लाख की आबादी बाढ़ के कहर के बीच जिन्दगी की जद्दोजहद से जूझने की जुगार में जुट गयी है। इसी तरह कमला बलान नदी के पूर्वी व पश्चिमी तटबंध के बीच स्थित रजौर, रहिका—नवटोलिया, बैद्यनाथपुर एवं दर्जिया गांव के वाशिंदे भी बाढ़ पूर्व बचाव की तैयारी शुरू कर दिये हैं।
नावों का निर्माण शुरू
गढ़गांव, बसीपट्टी, भरगामा, बकुआ, महपतिया, द्वालख, डारह का पूर्ण तथा करहारा, भेजा, रहुआ—संग्राम के पूर्वी भाग के गांवों के लोगों द्वारा नये नाव का निर्माण एवं पुरानी नाव की गढ़नी व मरम्मतीकरण का काम जोर—शोर से किया जा रहा है। क्योंकि कोसी मैया तटबंध के अंदर जब रौद्र रूप में आती है तो नाव ही उम्मीद की अंतिम किरण बन जाती है। उस वक्त इन पंचायतों के दर्जनों गांवों के लोगों का जीवन नाव पर ही ठहर जाता है।
नाव का होता व्यावसायिक उपयोग
अमूनन कोसी क्षेत्र के प्रत्येक मध्यमवर्गीय परिवार के पास एक नाव रहता है। कोसी पश्चिमी तटबंध किनारे खजुरी ढ़लान पर नाव बना रहे कारीगर लक्ष्मण ठाकुर एवं गोपाल ठाकुर बताते हैं कि यहां बारिश हो या ना हो नेपाल की तराई क्षेत्र में बारिश होने पर बाढ़ आ जाती है। कोसी के गांवों में नये नावों का निर्माण तथा पुराने नाव की मरम्मती व गढ़नी जोर—शोर से की जा रही है।
बाढ़ के दिनों में यहां के कुछ लोग नाव का उपयोग व्यावसायिक दृष्टि से भी करते हैं। इंजन चालित बड़े नाव के निर्माण में एक से डेढ़ लाख रुपये के आसपास खर्च बैठता है। मझौले नाव निर्माण में 80 से 90 हजार रुपए तथा डेंगी नाव के निर्माण में 35 से 40 हजार रुपए के करीब खर्च आता है।
बड़े नाव में मोटर लगने के बाद ये नाव पानी में जहाज का रूप ले लेती है तथा नदी की उफनती धाराओं को चिरती हुई लोगों को मंजिल तक पहुंचाती है।