बिहार में बराबरी पर महागठबंधन और NDA का कुनबा, नए समीकरण में कहां जाएगा 'वोट'
पटना, बिहार में राजग और महागठबंधन के बीच सीधी चुनावी लड़ाई की तस्वीर बन रही है। कुछ दिन पहले तक महागठबंधन घटक दलों की संख्या के मामले में राजग से आगे चल रहा था।
लेकिन, हाल के दिनों में हुए राजनीतिक परिवर्तन से संख्या के मामले में दोनों गठबंधन बराबरी पर आ रहे हैं। जदयू, राजद, कांग्रेस, भाकपा, माकपा और भाकपा माले महागठबंधन के घटक हैं।
इधर, राजग में भाजपा और दो हिस्से में बंटी लोजपा शामिल है। राष्ट्रीय लोक जनता दल, विकासशील इंसान पार्टी और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के राजग में शामिल होने की घोषणा भर बाकी है।
अगर वोटों के हिसाब से देखें तो जदयू के राजग से अलग होने पर 15 प्रतिशत से अधिक का नुकसान हुआ है। 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू को 15.39 प्रतिशत वोट मिला था।
इसकी भरपाई संख्या बढ़ाने वाले छोटे दलों से करने की कोशिश हो रही है। हां, 2020 में लोजपा ने अलग चुनाव लड़ा था। उसे 5.66 प्रतिशत वोट मिला था।
अगले चुनाव में लोजपा नामधारी दोनों पार्टी राजग के साथ होंगी। इससे जदयू के जाने से हुई क्षति की थोड़ी भरपाई हो सकती है। इसी तरह राष्ट्रीय लोक समता पार्टी को 1.77 प्रतिशत वोट मिला था।
यह अब राष्ट्रीय लोक जनता दल है। राजग के साथ आने की संभावना है। रालोजद और लोजपा के वोट को जोड़ दें तो राजग को करीब आठ प्रतिशत वोट की भरपाई हो सकती है।
हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और विकाशील इंसान पार्टी पिछले विधानसभा चुनाव में भी राजग के साथ थे। हालांकि, किसी दल को एक चुनाव में मिला वोट दूसरे चुनाव में भी पूरी तरह उसके पक्ष में चला जाए, ऐसा कम ही होता है।
बिहार के संदर्भ में देखें तो इसमें मामूली फेर बदल होता है। फिर भी आठ प्रतिशत वोटों का जोड़ राजग के लिए बहुत महत्व रखता है।
दूसरा पहलू यह भी है कि लगभग इन्हीं दलों के साथ राजग 2015 के विधानसभा चुनाव में भी मैदान में गया था। महागठबंधन से उसका मुकाबला हुआ। राजग को करारी हार का सामना करना पड़ा।