जल जांच की 3 प्रयोगशाला में लटके ताले

Update: 2023-08-29 05:50 GMT

नालंदा: नालंदा के अनुमंडल स्तर पर खोली गयीं तीन जल जांच प्रयोगशालाओं में ताले लटक गये हैं. कारण, मानदेय पर तैनात रसायनज्ञ और प्रयोगशाला सहायकों को काम से हटा दिया गया है. इसके कारण जल जांच का काम ठप हो गया है.

बताया यह भी जा रहा है कि कुछ इसी तरह की स्थिति सूबे के अन्य जिलों की अनुमंडल स्तरीय लैब की भी है, जहां सिर्फ मानदेय वाले कर्मी काम करते थे.

जिले में पीएचईडी का एक जिलास्तरीय तो तीन अनुमंडलीय स्तरीय जल जांच प्रयोगशालाएं हैं. जिला जल जांच केन्द्र को राष्ट्रीय परीक्षण और असंशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड से भी मान्यता मिली हुई है. पानी के सभी 14 पारामीटर की जांच की जाती है.

यहां रसायनज्ञ और एक सैंपल टेकर रेगुलर कर्मी हैं. जबकि, लैब असिस्टेंड मानदेय पर काम करते थे. राजगीर, हिलसा और हरनौत की प्रयोगशालाओं में रसायनज्ञ और प्रयोशाला सहायक मानदेय पर काम करते थे. 22 अगस्त को पीएचईडी के अभियंता प्रमुख के आदेश पर मानदेय पर तैनात कर्मियों को काम से हटा दिया गया है. उसके बाद से तीनों लैबों में ताला लट गया है. जबकि, जिला लैब में दो नियमित कर्मियों से काम चलाया जा रहा है.

पानी की जांच ठप अनुमंडल स्तरीय जांच प्रयोगशालाओं में नल-जल योजना, स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र और सरकारी संस्थानों के पानी की नियमित जांच की जाती थी. साथ ही, लोग अपने घरों के पानी की जांच कराने भी आते हैं. लेकिन, जांच केन्द्रों के बंद हो जाने से जांच की प्रक्रिया पूरी तरह से ठप हो गयी है.

इतना ही नहीं, जिलास्तरीय लैब में पानी के नमूने का बोझ बढ़ता जा रहा है. जानकारों के अनुसार जल में रासायनिक तत्वों की कमी या अधिकता से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है.

मानदेय पर काम करने वाले रसायनज्ञ और प्रयोगशाला सहायकों को काम से हटाने का आदेश दिया गया है. ऑटसोर्सिंग से कर्मियों की तैनाती की प्रक्रिया चल रही है. अनुमंडल स्तरीय लैबों में कर्मियों की तैनाती कर दी जाएगी.

अजीत कुमार,

एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, पीएचईडी

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