भारत-नेपाल सीमा पथ परियोजना में भूमि का किया गया अधिग्रहण

Update: 2023-05-20 08:39 GMT

मोतिहारी न्यूज़: भारत-नेपाल सीमा पथ परियोजना में भूमि अधिग्रहण के बावजूद मुआवजा भुगतान लटका है. जिससे इस सड़क के निर्माण कार्य की गति को धीमी हो गयी है. इस परियोजना के तहत 45 गांवों की करीब 495 एकड़ भूमि अधिग्रहित की गयी है. भारत- नेपाल सीमा पथ परियोजना के तहत रक्सौल से बैरगनिया तक करीब 75 किलोमीटर सड़क का निर्माण होना है. लेकिन इस अति महत्वपूर्ण परियोजना के तहत करीब 1100 रैयतों के अधिग्रहित भूमि के मुआवजे का भुगतान लटका है.

एलपीसी पेंडिंग होने से लटका है भुगतान अधिग्रहित भूमि का एलपीसी पेंडिंग होने से मुआवजा भुगतान लटकना कारण बताया जा रहा है. जितने रैयतों के मुआवजे का भुगतान लटका है उसमें अधिकांश रैयत बीजबनी गांव के बताए जाते हैं. भुगतान के लिए रैयत अंचल से लेकर जिला का चक्कर लगा रहे हैं. लेकिन अब तक भुगतान नहीं हो सका है.

पेंडिंग एलपीसी के निपटाने की कवायद शुरू जिला भू अर्जन विभाग के द्वारा पेंडिंग एलपीसी के निष्पादन की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है. इस कड़ी में वैसे सभी रैयतों को नोटिस जारी किया जाएगा. विभागीय स्तर पर रैयतों के घर पर जाकर नोटिस तामिला कराने के लिए कवायद की जाएगी. जरूरत पड़ने पर कैम्प लगाया जाएगा. इस प्रक्रिया को पूरा करने में करीब एक माह का समय लग सकता है.

सामरिक दृष्टिकोण से अति महत्वपूर्ण है यह सड़क भारत नेपाल सीमा पर बन रही यह सड़क सामरिक दृष्टिकोण से अति महत्वपूर्ण बतायी जाती है. विगत कई साल पहले इस सड़क के लिए भूमि का अधिग्रहण किया गया था. लेकिन भुगतान में विलंब से यह सड़क अपने निर्धारित समय पर पूर्ण नहीं हो पायी है. लेकिन अब जिला भू अर्जन विभाग ने मामले को गंभीरता से लिया है. ताकि रैयतों को मुआवजा का भुगतान जल्द किया जा सके.

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