जमुई को अधूरी परियोजनाओं के पूरी होने का बेसब्री से इंतजार

इसी के साथ पुराने मुद्दे भी सतह पर आने लगे

Update: 2024-04-27 05:11 GMT

पटना: ऐतिहासिक रूप से समृद्ध जमुई का धार्मिक महत्व भी है. यहां का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है. जैन धर्म के साथ इसका जुड़ाव इस रूप में है कि यहां भगवान महावीर को दिव्य ज्ञान प्राप्त हुआ था. भीषण तपिश के बीच जमुई में चुनाव की गहमागहमी बढ़ रही है. इसी के साथ पुराने मुद्दे भी सतह पर आने लगे हैं.

उद्योगविहीन जमुई की अर्थ व्यवस्था खेती और कृषि आधारित धंधे पर टिकी है. सिंचाई का मुद्दा सबसे अहम है. कई बड़ी सिंचाई योजनाएं धरातल पर नहीं उतर पाईं. बरनार जलाशय योजना का निर्माण 50 साल पहले शुरू किया गया, लेकिन यह अब तक अधूरी है. सिकंदरा का कुंड घाट जलाशय योजना भी करीब डेढ़ दशक में पूरी नहीं हो पायी. लोकसभा क्षेत्र के कुछ भाग पहाड़ी तो कुछ मैदानी क्षेत्र हैं. चकाई, सोनो, झाझा, खैरा, गिद्धौर और जमुई ब्लॉक में पहाड़ी इलाकों का बड़ा हिस्सा है. गेहूं, मक्का, धान दलहन और तेलहन के अलावा सब्जी की खेती पर भी यहां के किसान आश्रित हैं. चुनाव के पूर्व तक खेतों के लिए सिंचाई का प्रबंध और फसलों के लिए बाजार का मुद्दा तो उठता है, पर अंतिम दौर में यह गौण पड़ जाता है. जमुई के पवन प्रकाश का कहना है कि सोच समझ कर अपना प्रतिनिधि चुनेंगे. खैरा के महेंद्र प्रसाद कहना है कि युवाओं के लिए रोजगार और जिले की अधूरी पड़ी सिंचाई परियोजनाओं को सिर्फ पूर्ण कर दिया जाये तो किसानों की सिंचाई की समस्या का समाधान हो जाएगा. जमुई में मेडिकल कॉलेज बनने से उम्मीद जगी है. झाझा में हाल ही में केंद्रीय विद्यालय का नया भवन बना है.

प्रमुख मुद्दे:

● बरनार जलाशय योजना का निर्माण पूरा नहीं, इससे 78 हजार हेक्टेयर में सिंचाई होती

● बायपास का निर्माण न होने से जाम की समस्या बनी रहती है

● जमुई-देवघर मार्ग पर जर्जर चिरेन पुल का पुनर्निर्माण नहीं

● लछुआड़, काकन सहित कई पर्यटन स्थल का विकास जरूरी

● ड्रेनेज सिस्टम का अभाव, शहरी क्षेत्रों में जलजमाव की समस्या

जमुई लोस क्षेत्र में बाहरी और भीतरी के बीच लड़ाई है. जमुई के लोगों को ठगने का काम किया गया है. वर्षों में जमुई में कुछ भी विकास कार्य नहीं हुआ है. लोगों में गुस्सा है. मेरे समर्थन में सभी जाति-धर्म के लोग एकजुट हैं.

-अर्चना कुमारी, राजद प्रत्याशी

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