बक्सर लोकसभा सीट पर निर्दलीय बढ़ा सकते हैं दलीय प्रत्याशियों की परेशानी
इस बार भी निर्दलीय प्रत्याशी दलीय प्रत्याशियों की परेशानी बढ़ा सकते है
बक्सर: बक्सर लोकसभा सीट पर पहले की तरह इस बार भी निर्दलीय प्रत्याशी दलीय प्रत्याशियों की परेशानी बढ़ा सकते है. यहां के वोटरों का कहना है कि अब तक किसी ने बक्सर के गौरवशाली इतिहास को देशस्तर पर प्रतिष्ठित कर गौरवान्वित करने की दिशा में ठोस पहल नहीं की है.
चर्चा है कि टिकट पाने में विफल कई नेता अपना भाग्य आजमाने चुनाव मैदान में उतरेंगे. वहीं कभी राजद व जेडीयू से विधायक बनने वाले ददन पहलवान ने भी निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने की घोषणा की है.
राजद के आधार में लगाते है सेंध: डुमरांव विधानसभा से जीत दर्ज करने वाले ददन पहलवान ने वर्ष 2014 के चुनाव में राजद का खेल बिगाड़ दिया था. उसके बाद से यह सीट राजद के हाथ से निकल गई थी.
वर्ष 2009 के चुनाव में राजद के जगदानंद सिंह मात्र 2238 वोटों से चुनाव जीते थे. इस चुनाव में कुल 22 उम्मीदवार मैदान में थे. वर्ष 2014 के चुनाव में कुल 17 प्रत्याशी मैदान में थे. लेकिन यह सीट राजद के हाथ से निकल गई. वर्ष 2019 में कुल 15 प्रत्याशी मैदान में थे. इस बार भाजपा और राजद के वोट का आंकड़ा बढ़ा. लेकिन भाजपा को जीत हासिल हुई. लोग बताते है कि राजद के आधार वोटों में ददन पहलवान की सेंधमारी से राजद को हार का मुंह देखना पड़ा था. इस बार भी ददन पहलवान ने चुनाव मैदान में उतरने की घोषणा की है.
मोदी की गारंटी का दिख सकता है असर
इस बार के चुनाव में भाजपा के अश्विनी चौबे का टिकट कट गया है. टिकट पाने की उम्मीद में लगे कई नेताओं को झटका लगा है. वहीं कार्यकर्ताओं के एक वर्ग को भी केंद्रीय नेतृत्व के फैसले से झटका लगा है. यहां के वोटर बताते है कि इस बार भी कई निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरेंगे. लेकिन वर्ष 2014 और 2019 के चुनाव की तरह असर नहीं दिखा पाएंगे. लोग मानते है कि बक्सर का जितना विकास होना चाहिए था, नहीं हुआ. लेकिन हर बार की तरह इस बार भी विकास के मुद्दे गौण हो जाएंगे. चुनाव मोदी की गारंटी और इंडिया के संविधान बचाओ मुद्दे पर केंद्रित हो जाएगा.