बिहार में अब बीमारियों का इलाज रत्नों के माध्यम से होगा, यूनिवर्सिटी स्तर पर होगी पढ़ाई, समझें कोर्स और सिलेबस

बिहार में रत्नों के माध्यम से बीमारी के इलाज की पढ़ाई होगी। राज्य में पहली बार आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन मेडिकल एस्ट्रोलॉजी विषय की पढ़ाई होगी।

Update: 2022-06-11 05:01 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बिहार में रत्नों के माध्यम से बीमारी के इलाज की पढ़ाई होगी। राज्य में पहली बार आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन मेडिकल एस्ट्रोलॉजी (पीजीडीएमए) विषय की पढ़ाई होगी। इस कोर्स के तहत विद्यार्थियों को हीरा, मोती, पन्ना, गोमेद सहित अन्य विभिन्न रत्नों का चिकित्सकीय प्रभाव, रोगों की पहचान एवं रोगों के निदान में होने वाले उपयोग की शिक्षा दी जाएगी। विश्वविद्यालय के एकेडमिक काउंसिल ने इस नए कोर्स को शुरू करने की मंजूरी प्रदान कर दी है।

योग, आयुर्वेदिक फार्मेसी व मेडिसिनल प्लांट्स के कोर्स भी शुरू होंगे
आर्यभट्ट ज्ञान विवि ने स्वास्थ्य सेवा से जुड़े विभिन्न नए विषयों में पढ़ाई शुरू करने का भी निर्णय लिया है। इस निर्णय के तहत योग, आयुर्वेदिक फार्मेसी व मेडिसिनल प्लांट्स के कोर्स भी शुरू होंगे। विश्वविद्यालय के निबंधक द्वारा जारी पत्र के अनुसार मास्टर ऑफ साइंस इन योगा साइंस (एमएसवाईएस), डिप्लोमा इन आयुर्वेद फार्मेसी (डीएपी), पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन मेडिसिनल प्लांट्स (पीजीडीएमपी) की भी पढ़ाई होगी।
दक्षिण भारत में होती है मेडिकल एस्ट्रोलॉजी की पढ़ाई
जानकारी के अनुसार झारखंड, चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी व दक्षिण भारत के विभिन्न राज्यों में स्थित विश्वविद्यालयों में मेडिकल एसट्रोलॉजी की पढ़ाई होती है।
रक्तचाप चिंता और श्रम के कारण होने पर सफेद मोती, मधुमेह व मोटापे के कारण होने पर पुखराज एवं शनि की साढ़े साती में रक्तचाप प्रारंभ होने पर काला अकीक अथवा गोमेद लाभदायक होता है।
समस्या और समाधान
मूत्राशय संबंधी : मोती, हीरा, लाल मूंगा या पीला पुखराज अपनी कुंडली के अनुसार पहना जा सकता है।
रक्त संबंधी रोग : नीलम, पन्ना या रूबी कुंडली के अनुसार पहनने से लाभ।
फेफड़ा एवं नर्व सिस्टम : मैलाकाइट, जेड, पेरिडॉट या पन्ना पहनना लाभप्रद।
चर्म रोग : गोमेद से लाभ पहुंचाता है।
गर्भपात : लाल मूंगा या मैलाकाइट पहनना लाभप्रद।
अपच रोग : लाल मूंगा फायदा पहुंचाएगा
विशेष रंगों के रत्न विभिन्न रोगों को दूर करने में प्रभावी: डॉ. श्रीपति
ज्योतिषाचार्य डॉ. श्रीपति त्रिपाठी के अनुसार विभिन्न वैदिक एवं ज्योतिष शास्त्र में विभिन्न रत्नों के धारण करने से अलग-अलग रोगों के शमन और मरीज के शीघ्र स्वास्थ्य होने की विस्तार से जानकारी दी गयी है। ज्योतिष का एक सामान्य नियम है कि जन्म के समय ग्रहों से निकलने वाली किरणें जीवनपर्यंत प्रभाव डालती हैं। सूर्य से निकलनेवाली किरणें सात रंगों से बनी हैं। इनमें किसी भी रंग का अवशोषण विभिन्न रोगों के रूप में परिलक्षित होता है, जैसे- लाल रंग की कमी से रक्त अल्पता, बुखार आदि हो सकता है। रत्नशास्त्र के अनुसार विशेष रंगों के रत्न विभिन्न रोगों को दूर करने में प्रभावी होते हैं।
बिहार में देसी चिकित्सा से इलाज के प्रति लोगों की रुचि बढ़ेगी
बिहार में योग, आयुर्वेद एवं रत्नों के आधार पर रोगों की पहचान व निदान से जुड़े विषयों में पढ़ाई शुरू होने से आमलोगों की रुचि देसी चिकित्सा के प्रति बढ़ेगी। योग एवं आयुर्वेद के साथ ही रत्नों की पहचान एवं उनके महत्वों की जानकारी भी रोचक होगी। नई-नई बातें सामने आएंगी और आमलोगों को रोगों से राहत मिलेगी।
कमेटी तैयार करेगी नए कोर्स का सिलेबस
विश्वविद्यालय के निबंधक डॉ. राकेश कुमार सिंह ने बताया कि एकेडमिक काउंसिल से मंजूरी प्राप्त नए कोर्स का सिलबेस बनाने की जिम्मेवारी सिलेबस कमेटी को सौंपी गयी है। कमेटी विषयवार पाठ्यक्रम तैयार कर उसे अंतिम रूप प्रदान करेगी। इसके बाद नामांकन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
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