गया न्यूज़: मिशन परिवर्तन के तहत मेडिकल कॉलेजों में हो रहे कार्यों की समीक्षा उपमुख्यमंत्री सह स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने की. एक महीने पहले शुरू हुए कार्यों को आगामी चार जुलाई तक पूरा कर लेना है. इसका यह भी अर्थ नहीं है कि इसके बाद चुप बैठ जाना है. अस्पतालों की व्यवस्था बेहतर करने के लिए लगातार काम करते रहना है.
उन्होंने कहा कि राज्य के 10 मेडिकल कॉलेजों को विभाग की ओर से जो टास्क सौंपे गए हैं, उसे हर हाल में पूरा कर लिया जाए. इसके तहत अस्पताल परिसर की साफ-सफाई, गार्डेन ड्रेसिंग व मेटेनेंस, बाउंड्री वाल व दरवाजा, मुख्य प्रवेश द्वार, सिक्योरिटी, प्रकाश व्यवस्था, स्क्रैप डिस्पोजल, पार्किंग एरिया, अवांछित सामग्रियों को हटाया जाना है. दीवार के प्लास्टर को दुरुस्त किया जाए. ड्रेनेज, एसी रिपेयरिंग, वायरिंग, बिजली की लोड क्षमता, फायर ऑडिट, ड्रेनेज पाइप को दुरुस्त किया जाए. स्वास्थ्य सुविधाओं में बायोमीट्रिक हाजिरी, उपलब्ध स्थान का अधिक से अधिक सदुपयोग, स्वास्थ्य संस्थान में कम से कम उपकरणों की संख्या तय करने, स्वास्थ्य उपकरणों का बेहतर रखरखाव, दवाओं का सही वितरण व पैथोलॉजिकल व रेडियोलॉजी जांच की सुविधा का आकलन करें. इससे पहले विभागीय अधिकारियों ने अब तक हुए कामों के बारे में पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से जानकारी दी. एसकेएमसीएच में ब्लड बैंक, एनएमसीएच में आई बैंक, ऑनलाइन पैथोलॉजी आदि के बारे में बताया गया. उपमुख्यमंत्री ने इन कार्यों की सराहना करते हुए रेफरल पॉलिसी पर काम करने का सुझाव दिया. कहा कि कब व किन परिस्थतियों में रेफर किया जाए, यह सुनिश्चित हो. रेफर करने के बाद डॉक्टर जानकारी लें कि उस मरीज का क्या हुआ. रेफरल पॉलिसी की ट्रेनिंग डॉक्टरों को दें. अतिक्रमण व बेकार पदार्थों को हटाए जाने पर कहा कि यह पहले ही हो जाना चाहिए था. प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के साथ समन्वय बैठक करने को कहा ताकि बायोमेडिकल कचरा के निस्तारण पर रणनीति बने. बैठक में स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत, स्वास्थ्य सचिव संजय कुमार सिंह, संयुक्त सचिव सुधीर कुमार मौजूद थे.
जनता को असुविधा नहीं हो, इसके लिए भीड़ प्रबंधन हो
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि मरीजों को अस्पताल में भटकना नहीं पड़े, इसके लिए साइनेज का इंतजाम है या नहीं, यह देखा जाए. शौचालय की साफ-सफाई व मरम्मत, पेयजल सुविधा, भीड़ को प्रबंधन करने का इंतजाम, ओपीडी के लिए पर्याप्त जगह, दवा की उपलब्धता, मे आई हेल्प यू डेस्क, दीदी की रसोई, डॉक्टरों की लगातार उपस्थिति व कर्मियों के लिए ड्रेस कोर्ड अनिवार्य रूप से तय किया जाए. जनता को असुविधा नहीं हो, इसके लिए भीड़ का प्रबंधन हो.