लखीसराय: स्थानीय डीएवी पब्लिक स्कूल गुरुवार को हिंदी पखवाड़ा के समापन समारोह पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। जिसमें विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया तथा अपनी कलाओं का प्रदर्शन करके सबका मन मोह लिया।
इस अवसर पर सर्वप्रथम विद्यालय के प्राचार्य डॉ निरंजन कुमार एवं हिंदी विभाग के शिक्षकगण द्वारा द्वीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम आरंभ किया गया। कार्यक्रम के क्रम में सर्वप्रथम एलकेजी से द्वितीय कक्षा तक के बच्चों के बीच काव्य पाठ का आयोजन किया गया। जिनमें कुल 46 छात्राओं ने भाग लिया तथा अपनी कविता की प्रस्तुति की। निर्णायक के रूप में शिक्षक राहुल रंजन पांडेय एवं अरुण कुमार दास ने वर्ग दूसरी के छात्र आरव शर्मा को प्रथम, पहली कक्षा के छात्र राघव सिंह को द्वितीय तथा यूकेजी की छात्रा ख्याति राय को तृतीय स्थान प्रदान किया। एलकेजी की छात्रा सान्वी पाठक एवं द्वितीय के छात्र श्रेयांश को सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया गया। तीसरी से पांचवी स्तर की प्रतियोगिता में चयनित कुल 16 बच्चों ने हिस्सा लिया तथा उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। जिसमें वर्ग तृतीय की आराध्या डोलिया ने गीत "पर्वत कहता शीश उठाकर" की सुमधुर प्रस्तुति कर प्रथम स्थान प्राप्त किया। वर्ग चतुर्थ के छात्र शौर्य प्रताप सिंह ने साहिर लुधियानवी की कविता "साथी हाथ बढ़ाना" का वाचन कर द्वितीय स्थान प्राप्त किया। चतुर्थ वर्ग के छात्र आर्यन कुमार "हिंदी भाषा हमारी जान" सुनाकर तृतीय स्थान प्राप्त किया। सांत्वना पुरस्कार वर्ग चतुर्थ के कुमार मंगलम एवं पांचवी की छात्रा प्रकृति सिंह को प्रदान किया गया। कार्यक्रम की अगली कड़ी में छठी से आठवीं स्तर की काव्य पाठ प्रतियोगिता में कुल 14 बच्चों ने प्रतिभाग लिया। जिसमें वर्ग सातवीं की छात्रा मोहिना श्री ने गीत "मानव की मुस्कान है हिंदी" प्रस्तुत कर प्रथम स्थान को प्राप्त किया। वर्ग आठवी की छात्रा शांभवी रंजन ने "हिंदी है भारत की बोली" का पाठ कर द्वितीय स्थान प्राप्त किया तथा सप्तम 'स' की छात्रा नव्या सिंह ने कबीर एवं रहीम के दोहे का पाठ कर तृतीय स्थान को प्राप्त किया। वर्ग छठी के छात्र सुधांशु मिश्रा एवं सप्तम की छात्रा सोनम भारती को सांत्वना पुरस्कार दिया गया। निर्णायक की भूमिका का निर्वहन डॉ समीर कुमार पाठक, कमलेश यादव तथा लोकेश कुमार उपाध्याय ने किया। दोनों सत्र में लगभग कुल 100 छात्रों ने हिस्सा लिया।
बच्चों को संबोधित करते हुए विद्यालय के प्राचार्य डॉ निरंजन कुमार ने कहा कि हिंदी हमारी माता के समान है। यह अर्जित संपदा है, जिसकी ज्योति संपूर्ण संसार को प्रकाशित कर रही है। हिंदी की जीवंतता के कारण ही आज यह प्रवाहमान है। हमें हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार को बढ़ाने की आवश्यकता है।यह हमारा संवैधानिक दायित्व है कि हमें हिंदी में कार्य करने की आदत डालनी होगी। कार्यक्रम का संचालन डॉ राजीव रंजन तिवारी ने किया।