Gaya: सरकारी विभागों में आउटसोर्सिंग कर्मियों को देनी होगी न्यूनतम मजदूरी

श्रम संसाधन विभाग ने इसे सुनिश्चित करने को कहा है

Update: 2024-07-01 04:27 GMT

गया: राज्य के सरकारी विभागों में आटउसोर्सिंग पर काम करने वाले कर्मियों को अनिवार्य तौर पर न्यूनतम मजदूरी मिलेगी. श्रम संसाधन विभाग ने इसे सुनिश्चित करने को कहा है. विभाग के प्रधान सचिव डॉ. बी राजेन्दर की ओर से सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव और सचिव के साथ ही जिलाधिकारियों को भी पत्र लिखा गया है.

विभाग ने कहा है कि सरकार के कई विभागों, समितियों, बोर्ड और आयोग में बड़ी संख्या में आउटसोर्सिंग एजेंसी या संवेदकों के माध्यम से श्रमिकों से कार्य लिया जा रहा है. विभिन्न श्रम संगठनों द्वारा कई बार विभाग के संज्ञान में लाया जाता है कि इन आउटसोर्सिंग एजेंसी या संवेदकों द्वारा श्रम कानूनों का समुचित ढंग से अनुपालन नहीं किया जा रहा है. साथ ही प्रधान नियोजकों द्वारा भी इसकी निगरानी नहीं की जा रही है.

सरकार की ओर से न्यूनतम मजदूरी तय है. न्यूनतम मजदूरी की दर श्रमिकों की कार्यकुशलता और योग्यता के आधार पर अकुशल, अर्धकुशल, कुशल एवं अतिकुशल के रूप में वर्गीकृत है. इसलिए न्यूनतम मजदूरी का भुगतान अनिवार्य है. न्यूनतम मजदूरी की दर में प्रत्येक छह महीने पर परिवर्तनशील महंगाई भत्ता जोड़कर हर वर्ष एक अप्रैल और एक अक्टूबर को नई न्यूनतम मजदूरी दर तय होती है. इसलिए संशोधित दर ही श्रमिकों को दी जाए. अगर कोई एजेंसी या संवेदक न्यूनतम मजदूरी दर से कम पर श्रमिक उपलब्ध कराने का टेंडर भरे तो उसे रद्द कर दिया जाए.

बैंक खाते में ही वेतन का भुगतान करना होगा: श्रमिकों से एक दिन में ओवरटाइम को छोड़कर अधिकतम नौ घंटे का कार्य लिया जा सकता है. इसमें एक घंटे का विश्राम अंतराल भी शामिल रहेगा. किसी दिन कार्य की अधिकता है तो दो घंटे कार्य लिया जा सकता है, लेकिन इसके लिए ओवरटाइम का भुगतान करना होगा. एक व्यक्ति तीन महीने में अधिकतम 50 घंटे का ओवरटाइम करेगा. ओवरटाइम की मजदूरी दर सामान्य से दोगुनी होगी. आउटसोर्सिंग पर कार्यरत सभी कर्मियों को ईएसआई और ईपीएफ का लाभ दिया जाना है. ईपीएफ और ईएसआई का अंशदान उसके वेतन से कटौती की जाएगी, लेकिन नियोजन के अंशदान की कटौती कामगार के वेतन से नहीं की जाएगी. बोनस का भुगतान नियोजकों को ही करना होगा. किसी भी संवेदक को काम देने से पहले स्थापना का पंजीकरण लिया जाए. श्रमिकों को सीधे बैंक खाते में ही भुगतान किया जाए.

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