लाजपत पार्क से गांधीजी ने शुरू की थी छुआछूत के खिलाफ लड़ाई
छुआछूत के खिलाफ लड़ाई
भागलपुर: भागलपुर का लाजपत पार्क देश की आजादी में राष्ट्रीय आंदोलन व सभाओं का गवाह रहा है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, लाला लाजपत राय, सुभाष चंद्र बोस, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, श्रीकृति नारायण सिंह, सरस्वती देवी, हरनारायण जैन और देवनारायण मिश्र जैसे आजादी के सिपाहियों ने लाजपत पार्क में सभाएं की हैं. अगस्त क्रांति में भी भागलपुर पीछे नहीं रहा था. भागलपुर के देशभक्त आजादी की लड़ाई में शहीद हुए, यातनाएं सहीं और जेल भी गए. बापू की 9 अगस्त 1942 को तत्कालीन बंबई (अब मुंबई भागलपुर पहुंचा, लोग उत्तेजित हो गए. टीएनबी कॉलेज के इतिहास विभाग के सहायक प्राध्यापक सह इतिहास के जानकार रविशंकर चौधरी ने बताया कि गांधीजी 2 अप्रैल 1935 को भागलपुर आए थे. यह बापू की अंतिम भागलपुर यात्रा थी.
ढेबर गेट के पास था सुभाष चंद्र बोस के रिश्तेदार का घर
इतिहासकार ने बताया कि स्थानीय जोगसर मंसूरगंज मोहल्ला के खरमनचक स्थित ढेबर गेट के पास नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बड़े भाई की ससुराल प्रभास मंदिर में थी. साल 1940 के जनवरी महीने में सुभाष चंद्र बोस भागलपुर आए थे. जंग-ए-आजादी के लिए उन्होंने भागलपुर की जनता को संबोधित भी किया था. उन्होंने लोगों को बताया था कि उनकी दादी ऊषा प्रभा बोस की शादी खरमनचक स्थित बोस पार्क में हुई थी. वहां लाजपत पार्क में उनकी याद में प्रतिमा भी बनी. पार्क बना और झरने भी लगे.
पुलिस की गोली से शहीद हुए थे यहां के 68 देशभक्त
रविशंकर चौधरी ने बताया कि भागलपुर के खड़हरा गांव (अब बांका जिला में) निवासी 11वीं कक्षा के विद्यार्थी सतीश चंद्र झा पटना सचिवालय में तिरंगा झण्डा फहराने के क्रम में पुलिस की गोली से शहीद हो गए थे. अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ भागलपुर की जनता ने स्टेशन लूट, रेल पटरियां उखाड़ी और थाना पर आक्रमण कर कब्जा कर लिया था. एक गैरसरकारी अनुमान के अनुसार 1942 के अंग्रेजों भारत छोड़ो, करो या मरो आंदोलन में भागलपुर के करीब 68 देशभक्त शहीद हुए थे.