जंगली हाथियों के झुंड ने गढ़वावासियों का जीना मुहाल कर दिया है. इस झुण्ड में 40 से 50 की संख्या में हाथी हैं, जो एक साथ किसी भी गांव पर धावा बोल देते हैं और गांव में जमकर आतंक मचाते हैं. तस्वीरें धुरकी वन क्षेत्र के कदवा गांव की है, जहां इन दिनों हाथियों की दहशत ने लोगों के लिए घरों से निकलना भी दूभर कर दिया है. हाथियों का उत्पात थमने का नाम नहीं ले रहा है. बुधवार की देर रात भी दस बजे के करीब हाथियों के झुंड ने ना सिर्फ लोगों के घरों को तोड़ा, बल्कि मवेशियों की भी जान ले ली. इसी तरह हर दिन हाथियों का झुंड किसानों की दलहन और तिलहन की फसलों को भी बर्बाद कर देते हैं. हाथियों के झुंड ने तो चापाकल को भी उखाड़ कर तहस नहस कर दिया है.
गढ़वा में गजराज का आतंक
हाथियों के उत्पात से ग्रामीण दहशत में है. ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग इसको लेकर कुछ नहीं कर रहा. ग्रामीण बर्बाद हो रहे हैं और विभाग के अधिकारी मौन धारण किए हुए है. हाथियों को भगाने के लिए कोई पहल नहीं हो रही. पहले से सुखाड़ की मार झेल रहे ग्रामीणों की बची कुची फसलें भी हाथी तबाह कर रहे हैं. ऐसे में परेशान ग्रामीण मुआवजे की मांग कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि छत्तीसगढ़ और चिनिया के जंगलों से हाथी गांव में प्रवेश करते हैं.
हाथियों के झुंड की दहशत
गढ़वा ही नहीं झारखंड के कई इलाकों में हाथियों का उत्पात जारी है. वन विभाग के अधिकारी ग्रामीणों को हाथियों से दूर रहने की सलाह देकर हाथ पर हाथ रख बैठ जाते हैं, लेकिन ये नहीं बताते कि अगर गांव में आकर खेतों को बर्बाद कर दें या घर में आकर घर तोड़ दे तो क्या करें. जरूरत है कि वन विभाग इस समस्या को गंभीरता से ले. हाथियों को भगाने की कोशिश करे और पीड़ित ग्रामीणों को उचित मुआवजा दें