जमीन विवाद को कम करने के लिए व्यापक स्तर पर प्रयास किए गए

पारिवारिक बंटवारे में कम रुचि से सुलझ नहीं रहे भूमि विवाद

Update: 2024-04-16 08:21 GMT

पटना: राज्य में जमीन विवाद को कम करने के लिए व्यापक स्तर पर प्रयास किए गए हैं. इसी के तहत निबंधन विभाग में सिर्फ 0 रुपये शुल्क जमा करके पारिवारिक बंटबारा करने का प्रावधान सरकार ने करीब तीन साल पहले से कर रखा है, परंतु इसके प्रति लोगों में बहुत उत्साह नहीं होने और रुचि कम लेने के कारण इसका फायदा नहीं मिल रहा है.

राज्य में भूमि विवाद के मामलों में कमी नहीं आ पा रही है. साथ ही इसमें कई तरह की तकनीकी समस्याओं की वजह से यह प्रावधान बहुत प्रभावी साबित नहीं हो पा रहा है. 2022-23 के दौरान सिर्फ 15 निबंधन ही पूरे राज्य में हुए थे. इसी तरह 2023-24 में 1300 पारिवारिक बंटवारा के तहत निबंधन हुए. मौजूदा वित्तीय वर्ष में भी परिवारिक बंटवारा की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. राज्य में रोजाना औसतन 5 से 6 हजार निबंधन होते हैं. हालांकि राज्यभर में 23 फरवरी 2024 से अनिवार्य रूप से यह प्रावधान कर दिया गया है कि बिना दाखिल-खारिज के जमीन का निबंधन नहीं होगा. इसके बाद रोजाना निबंधन की औसतन संख्या में कमी आई है. बावजूद इसके पारिवारिक बंटबारा की स्थिति बदस्तूर बनी हुई है. इसमें किसी तरह की बढ़ोतरी दर्ज नहीं की गई है.

राज्य में हत्या समेत अन्य संगीन आपराधिक घटनाओं के पीछे करीब 65 फीसदी वजह जमीन के आपसी विवाद या झगड़े ही होते हैं. ये झगड़े मुख्य रूप से परिवार या गोतिया के बीच के रहते हैं. ऐसे में पारिवारिक बंटवारा इसका बेहतर समाधान है, लेकिन इसमें कुछ तकनीकी अवरोधों के कारण यह बहुत कारगर साबित नहीं हो रहा है.

कम संख्या के पीछे मुख्य कारण

● पारिवारिक बंटवारा के तहत परिवार के सभी सदस्यों या जिन-जिन के नाम पर संयुक्त रूप से जमीन की हिस्सेदारी है, उन सभी को स्वयं निबंधन कार्यालय के समक्ष उपस्थित होना पड़ता है, तभी सभी के नाम से अलग-अलग जमीन का निबंधन होता है. इसमें अगर एक पटीदार या हिस्सेदार उपस्थित नहीं हुए, तो पारिवारिक निबंधन नहीं होगा. अगर इसमें किन्ही सदस्य का निधन हो गया, तो उनका मृत्यु प्रमाण-पत्र गवाह के साथ जमा करना होता है. ऐसे में आपसी मतभेद के कारण या किसी भी एक सदस्य के बाहर रहने की स्थिति में कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है. इस कारण भी इसके प्रति लोगों में उदासीनता है

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