डॉ. राजेंद्र प्रसाद उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में लगा रहे थे मोटी कमाई, हुई छापेमारी

गबन की जांच और इस सिलसिले में की गई छापेमारी में हाथ लगे कागजात को फिलहाल खंगाला जा रहा है

Update: 2021-11-24 10:10 GMT
मगध विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद बिहार से हो रही मोटी कमाई को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में लगा रहे थे। गोरखपुर के 30-35 किलोमीटर दूर अपने गांव के पास उन्होंने एक स्कूल बना रखा है। बताया जाता है कि बिहार में हो रही मोटी कमाई का एक बड़ा हिस्सा इसमें लगाकर स्कूल को कॉलेज में तब्दील करने वाले थे पर इससे पहले ही विशेष निगरानी इकाई की कार्रवाई हो गई।
व्यवसायिक पाठ्यक्रम चलाने की थी तैयारी
एसवीयू के सूत्रों के मुताबिक मगध विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने गोरखपुर से कुछ दूरी पर स्थित अपने गांव के पास स्कूल खोल रखा है। इस स्कूल को कॉलेज में तब्दील करने की तैयारी थी। बताया जाता है उसे व्यवसायिक डिग्री वाले कई पाठ्यक्रम शुरू करने की तैयारी थी। जांच से जुड़े अधिकारियों को आशंका है कि कुलपति रहते हुए उन्होंने खरीदारी आदि के नाम पर जो मोटी कमाई की है उसका बड़ा हिस्सा स्कूल को कॉलेज का रूप देने में खपाया जा सकता है। गबन की जांच और इस सिलसिले में की गई छापेमारी में हाथ लगे कागजात को फिलहाल खंगाला जा रहा है।
बेटे से भी पूछताछ कर सकती है एसवीयू
कुलपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के गोरखपुर स्थित घर की तलाशी में एसवीयू को करीब 95 लाख रुपए नगद मिले थे। आशंका है कि ये रकम खरीदारी के नाम पर किए गए गबन से जुड़ा है। भारी मात्रा में नगद राशि की बरामदगी और गोरखपुर स्थित घर बेटे के जिम्मे होने के चलते उससे भी पूछताछ होगी। इस दौरान गोरखपुर के पास स्थित स्कूल और दूसरी संपत्तियों को लेकर भी छानबीन होगी। बेटे से उनकी कमाई के साथ घर से मिले नगद रुपए को लेकर भी जवाब-तलब किया जाएगा।
लंबी चलेगी जांच-पड़ताल
विशेष निगरानी इकाई ने मगध विवि के कुलपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के खिलाफ फर्जीवाड़ा का मामला दर्ज करने के बाद 17 नवंबर को उनके तीन ठिकानों पर छापेमारी की थी। यह मामला खरीदारी आदि से जुड़े मामलों में 30 करोड़ से अधिक की राशि की हेराफेरी से जुड़ा है। चुकी मामला वित्तीय गड़बड़ियों का है और बड़े पैमाने पर नगद राशि पकड़ी गई है लिहाजा इसकी जांच लंबी चलेगी। विश्वविद्यालय से खरीदारी समेत अन्य जरूरी जानकारी मांगी गई है। कागजात मिलने के बाद उसका बारीकी से अध्ययन किया जाएगा। दूसरी और इस मामले में कुलपति और उनके परिवार के सदस्यों की संपत्ति आदि की भी छानबीन होगी। ऐसे में जांच की प्रक्रिया लंबी खिंच सकती है।
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