64 गांवों में मक्का क्लस्टर बनाने की मांग

Update: 2023-08-05 11:48 GMT

नालंदा: धान की पिछड़ी खेती की भरपाई के लिए नालंदा में मक्के की खेती से किसानों को जोड़ने का मेगा प्रोजेक्ट बनाया गया है. सर्वे के बाद सभी प्रखंडों के 64 गांवों को मिलाकर चार हजार हेक्टेयर का मक्का क्लस्टर बनाया गया है. अच्छी बात यह कि चयनित गांवों के किसानों को कृषि विभाग सौ फीसद अनुदान पर मक्के का बीज उपलब्ध कराएगा. खास यह भी कि पहली बार प्रत्येक प्रखंड में 200 हेक्टेयर का मक्का क्लस्टर बना है.

क्लस्टर बनाने में ऊंची जमीन वाले क्षेत्र को प्राथमिकता दी गयी है. इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि बारिश और जलभराव की समस्या न हो. खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 20 किलो बीज किसानों को मिलेगा. इसके लिए मुख्यालय से 800 क्विंटल बीज की मांग की गयी है. उम्मीद है कि अगले सप्ताह तक जिला को बीज उपलब्ध हो जाएगा. उसके बाद वितरण की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. किसी गांव में 50 तो किसी में 70 हेक्टेयर का क्लस्टर बनाया गया है. जबकि, बड़े रकवा वाले गांवों में अधिकतम 100 हेक्टेयर का क्लस्टर बना है.

कृषि सचिव के आदेश के बाद अधिकारी सक्रिय 26 जुलाई को बिहार के कृषि सचिव संजय कुमार अग्रवाल नालंदा आये थे. हरदेव भवन में अधिकारियों के साथ बैठक की थी. सुखाड़ की स्थिति का जायजा लिया था. स्पष्ट कहा था कि धान की पिछड़ी खेती की भरपाई के लिए मक्के की खेती को बढ़ावा दें. क्लस्टर बनाकर किसानों को खेती से जोड़ें. इसमें पानी की जरूरत कम पड़ती है.

मक्के की खेती के लिए इन गांवों में बने क्लस्टर

नूरसराय बराखुर्द, अजयपुर, अंधना, ककड़ा. रहुई रहुई, बरांदी, शाहपुर. अस्थावां महम्मदपुर, मोलना बिगहा, कैला, मालती. बिहारशरीफ मेधी नगवां, सकरौल, डुमरावां, ताजनीपुर. बिंद उतरथु, ताजनीपुर, जमसारी, लोदीपुर . हरनौत छिड्डी, बराह, डिहरी, नेउसा . सरमेरा पुराना इशुआ, पेंडी, ससौर, प्यारेपुर . सिलाव नानंद, जुआफर, बड़ाकर, कुल . गिरियक गिरियक, घोसरावां, रैतर, पोखरपुर. कतरीसराय दरवेशपुरा, मैरा, कतरी. बेन अकौना, धरहरा, एकसारा, बेन . राजगीर लोदीपुर, जमालपुर, बरनौसा, नई पोखर . परवलपुर मई, सोनचरी, चौसंडा, बिसाई बिगहा. एकंगरसराय तेल्हाड़ा, पारथु. चंडी विरनामा, कचरा. थरथरी जैतपुर, नारायणपुर. करायपरसुराय हुड़ारी, गुलड़िया बिगहा . हिलसा मई, अरपा . इस्लामपुर ढेकवाहा, आत्मा . नगरनौसा भोगी कछियावां, दामोदरपुर बलधा.

90 से 95 दिन में तैयार होती है मक्के की फसल

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के जिला तकनीकी पदाधिकारी धनंजय कुमार बताते हैं कि भदई वेरायटी की मक्के की फसल 90 से 95 दिन में तैयार हो जाती है. अभी बीज की बुआई होगी तो नवंबर तक किसानों को उपज मिल जाएगी. 15 नवंबर के बाद गेहूं की खेती शुरू होती है. इसलिए रबी की खेती में किसी तरह की परेशानी नहीं आएगी. फसल अच्छी रहती है तो प्रति हेक्टेयर 35 से 40 क्विंटल उपज मिलती है. मक्के की खेती से पशुचारा भी मिल जाता है.

मक्का क्लस्टर के लिए गांवों का चयन कर कृषि निदेशालय को सूची उपलब्ध करा दी गयी है. मक्के के बीज का आवंटन होते ही वितरण शुरू कर दिया जाएगा. कम सिंचाई में इसकी खेती बड़ी ही सहजता से की जा सकती है. किसानों को खेती के लिए प्रेरिता किया जा रहा है.- महेन्द्र प्रताप सिंह, डीएओ

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