Darbhanga: गलियों में में चल रहे सैकड़ों कोचिंग केंद्र में मात्र 98 हैं पंजीकृत

दिल्ली के कोचिंग संस्थान में हुए हादसे के बाद बच्चों एवं अभिभावकों की चिंता बढ़ गई है.

Update: 2024-08-22 04:20 GMT

दरभंगा: जिले में लगभग छह सौ से अधिक कोचिंग केंद्रों का संचालन हो रहा है. इन कोचिंग केंद्रों में लगभग 60 हजार से अधिक बच्चे मैट्रिक, इंटर से लेकर मेडिकल, इंजीनियरिंग एवं विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करने पहुंचते हैं. जिला शिक्षा कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार मात्र 98 कोचिंग केंद्र ही पंजीकृत हैं. दिल्ली के कोचिंग संस्थान में हुए हादसे के बाद बच्चों एवं अभिभावकों की चिंता बढ़ गई है. शिक्षा विभाग की ओर से भी सख्ती बढ़ने की उम्मीद की जा रही है. शहरी क्षेत्र में कुछ इलाके कोचिंग संस्थानों की भीड़ के कारण जाने जाते हैं. इसके अलावा शहर का कोई मोहल्ला, कोई गली नहीं मिलेगी जिसमें कोचिंग केंद्रों के बोर्ड और बैनर नजर नहीं आए. स्कूल-कॉलेजों के आसपास भी कोचिंग संस्थानों की भीड़ नजर आती है. इन संस्थानों में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. बच्चे से डेढ़ घंटे के लिए यहां पहुंचते हैं. ऐसे में वे अपनी व्यवस्था स्वयं करते हैं. अधिकतर कोचिंग संस्थानों में तो पेयजल की भी व्यवस्था नहीं दिखती. छात्र-छात्राएं अपने साथ वाटर बोटल लेकर पहुंचते हैं.

कोचिंग संस्थानों के पंजीकरण को लेकर समय-समय पर विभाग की ओर से सख्ती बरती जाती है, लेकिन फिर सबकुछ सामान्य हो जाता है. बिना पंजीकरण कोचिंग केंद्रों का संचालन होने से विभाग को राजस्व की भी क्षति होती है. कोई घटना होने पर कोचिंग संचालकों पर कार्रवाई भी मुश्किल होती है. इन कोचिंग संस्थानों में बच्चों से मनमाना फीस वसूल किया जाता है. फीस लेने पर छात्रों या अभिभावकों को कोई रसीद भी नहीं दी जाती. कुल मिलाकर कोचिंग संस्थानों का संचालक मनमाने तरीके से किया जाता है.

लक्ष्मीसागर स्थित कोचिंग में पढ़ने वाले मनीष कुमार, रौशन कुमार, तान्या, सपना, मनोज आदि ने बताया कि कोचिंग के फीस में रुपता नहीं है. अलग-अलग कोचिंग में ही पढ़ाई के लिए अलग-अलग फीस वसूले जाते हैं. इन्होंने बताया कि कोचिंग में बच्चों के बैठने तक की पर्याप्त व्यवस्था नहीं रहती. स्कूलों में बेहतर व्यवस्था नहीं होने और अभिभावकों के दबाव में उन्हें कोचिंग में जाना पड़ता है.

अभिभावक सत्य प्रकाश साहु, संतोष कुमार, संजय सहनी, मुकेश अग्रवाल आदि ने बताया कि छोटे बच्चों को अक्सर अभिभावक नजदीकी कोचिंग में पढ़ाने को प्राथमिकता देते हैं. इन कोचिंग केंद्रों में शिक्षक के अलावा कोई व्यवस्था नहीं होती. शहर में कई बड़े-बड़े कोचिंग संस्थान भी हैं. अभिभावकों ने बताया कि कोचिंग में उनसे मोटी फीस वसूली जाती है, लेकिन उसकी कोई रसीद नहीं दी जाती. बच्चों की शिक्षा और भविष्य की चिंता में अभिभावक इसे झेल रहे हैं. प्रशासन और सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए. कोचिंग संचालकों ने बताया कि वे पंजीकरण के लिए विभाग के चक्कर काट चुके हैं. प्रक्रिया को सरल बनाना होगा.

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