Darbhanga: अंतर कॉलेज खेल में कॉलेज नहीं ले रहे रुचि

महिला व पुरुष वर्ग में टेबल टेनिस टूर्नामेंट का आयोजन

Update: 2024-11-09 07:44 GMT

दरभंगा: नाम अंतर महाविद्यालीय खेल प्रतिप्रतियोगिता और सहभागिता कुछ कॉलेजों के खिलाड़ियों की ही. यह स्थिति है वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के इंटर कॉलेज स्पोर्ट्स टूर्नामेंट की. वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय इंटर कॉलेज टूर्नामेंट सत्र 2024-25 का आगाज हो चुका है. बैडमिंटन टूर्नामेंट की समाप्ति के बाद 25 और 26 अक्टूबर को पुरुष वर्ग में वॉलीबॉल और बास्केटबॉल और महिला व पुरुष वर्ग में टेबल टेनिस टूर्नामेंट का आयोजन हो रहा है.

बता दें कि पुरुष वर्ग के बैडमिंटन में पांच-छह कॉलेजों की टीम ही भाग ले सकी है. वहीं वॉलीबॉल, बास्केटबॉल और महिला व पुरुष वर्ग में टेबल टेनिस टूर्नामेंट की स्थिति भी कुछ ऐसी ही रही. इन तीनों प्रतियोगिताओं में चंद कॉलेजों की ही सहभागिता रही. वॉलीबॉल पुरुष में दस, बास्केट बॉल पुरुष में पांच और टेबल टेनिस पुरुष में दो और महिला वर्ग में तीन कॉलेजों की टीम ही शामिल हो सकी है. विवि के निर्देश के बावजूद अधिकतर कॉलेज अपनी टीम नहीं भेज पाये हैं. इस तरह इंटर कॉलेज स्पोर्ट्स टूर्नामेंट को ले विश्वविद्यालय प्रशासन के आदेश की धज्जियां भी अधिकतर कॉलेज उड़ा रहे हैं.

मालूम हो कि टूर्नामेंट शुरू होने से पहले सभी कॉलेजों को पत्र जारी कर टीम भेजने का निर्देश दिया गया था. बावजूद इसके अधिकतर कॉलेजों ने इसमें दिलचस्पी नहीं ली. बता दें कि यह स्थिति अमूमन हर वर्ष इंटर कॉलेज स्पोर्ट्स टूर्नामेंट में रहती है. सभी कॉलेजों अपनी टीम नहीं भेजते हैं. टीम नहीं भेजने वालों में संबद्ध कॉलेज के अलावा अंगीभूत कॉलेज भी हैं.

स्पोर्ट्स फंड में प्रति विद्यार्थी कॉलेज वसूलते हैं रुपये विवि अंतर्गत 19 अंगीभूत और 60 से अधिक संबद्ध कॉलेज हैं. हर कॉलेज में खेल मद में छात्र-छात्राओं से शुल्क की वसूली की जाती है. वहीं जब टीम भेजने की बारी आती है, तो कई अंगीभूत और संबद्ध कॉलेज पल्ला झाड़ लेते हैं. बता दें कि प्रति छात्र कॉलेज स्पोर्ट्स शुल्क में 60 रुपये वसूलते हैं. इसमें प्रति छात्र 30 रुपये विश्वविद्यालय को कॉलेज भेजते हैं, जबकि बाकी की राशि कॉलेज में खेल और खिलाड़ियों पर खर्च की जानी है.

लेकिन, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के इंटर कॉलेज स्पोर्ट्स टूर्नामेंट में महाविद्यालय इसे खर्च करने में रुचि नहीं रखते हैं. इस तरह स्पोर्ट्स शुल्क का सही उपयोग विद्यार्थियों पर नहीं हो पा रहा है. इससे विश्वविद्यालय में बेहतर खिलाड़ी और छात्र-छात्राओं की प्रतिभा निकल कर सामने नहीं आ पा रही है.

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