सुभाष पार्क शीतला माता मंदिर में दक्षिणेश्वर काली की होगी आराधना
अष्टमी को खिचड़ी नवमी को खीर
पटना: गांधी मैदान के दक्षिण-पूर्व कोने पर मौजूद सुभाष पार्क के पास शीतला माता मंदिर जैसा पंडाल बनाया जा रहा है. इसकी चौड़ाई 30 फीट और ऊंचाई 40 फीट होगी. बांस बांधने का काम लगभग पूरा हो चुका है. इसके बाद बीट, थर्मोकोल आदि का काम शुरू होगा.
पंडाल निर्माण की जिम्मेवारी पार्क रोड के बच्चू रजक को दी गई है. वहीं लाइटिंग की जिम्मेवारी दुजरा के श्याम डेकोरेटर्स को दी गई है. नवरात्र में यहां प्रत्येक वर्ष पांच लाख से ज्यादा लोग पूजा पंडाल देखने और माता का आशीर्वाद प्राप्त करने पहुंचते रहे हैं. पूजा पंडाल के संस्थापक अध्यक्ष संजीव आनंद, सचिव धीरज गुप्ता और संयोजक अशोक गोप थे. पहले यह पंडाल सालिमपुर अहरा मोहल्ले में बनता था. बाद में जगह की कमी को देखते हुए यह आईएमए बिहार के पास स्थानांतरित किया गया. यहां भी जगह की किल्लत होने के बाद इसे सुभाष पार्क के नजदीक स्थानांतरित किया गया है. यहां पूजा-पंडाल पर बजट तीन से साढ़े तीन लाख रुपये अनुमानित है.
पटना में सुभाष पार्क ही एकमात्र ऐसा पंडाल है, जहां मां दक्षिणेश्वर काली की प्रतिमा स्थापित की जाती है. दक्षिणेश्वर काली की यहां पूजा होती है. श्रीश्री मां काली पूजा समिति सुभाष पार्क के बैनर तले वर्ष 1994 से ही यहां दुर्गापूजा की जा रही है. स्थापना काल के समय से ही यहां दक्षिणेश्वर काली की पूजा हो रही है.
मन्नतें होती हैं पूरी
यहां दक्षिणेश्वर काली की पूजा करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है. पूजा समिति से जुड़े पंकज कहते हैं कि यहां पूजा करने वालों की मन्नत पूरा होती है. हर साल मन्नत पूरी होने पर बड़ी संख्या में लोग मां को प्रसाद चढ़ाने पहुंचते हैं. यहां आशीर्वादी रूप की पूजा वैष्णव विधि से होती है.
अष्टमी को खिचड़ी नवमी को खीर
मां काली की पूजा में अष्टमी तिथि को प्रसाद के रूप में खिचड़ी बांटी जाती है. इसके लिए ढाई सौ से तीन सौ किलोग्राम चावल से खिचड़ी तैयार होती है. नवमी तिथि को यहां खीर बांटने की परंपरा है, जबकि यहां दशमी के बाद होने वाली पूर्णमासी को शांति पूजा होती है. इसमें सत्यनारायण पूजा होती है. इसके बाद खिचड़ी, खीर, पूड़ी और सब्जी का भोग एग्जीबिशन रोड सहित अन्य जगहों पर भी बांटा जाता है. इसी दिन यहां कुंवारी कन्या का भी भोजन कराया जाता है. तीन-चार क्विंटल खिचड़ी और खीर का प्रसाद हर वर्ष यहां बांटा जाता है. इस वर्ष भी दो सौ से ढाई सौ किलोग्राम दूध की खीर बनेगी.