सदर अस्पताल परिसर में मेटरनिटी एंड चाइल्ड हॉस्पिटल का निर्माण कार्य शुरू

भवन का निर्माण पूरी तरह से भूकंपरोधी किया जा रहा है

Update: 2024-04-27 06:22 GMT

मधुबनी: सदर अस्पताल परिसर में एमसीएच (मेटरनिटी एंड चाइल्ड हॉस्पिटल) का निर्माण कार्य शुरू हो गया है. अस्पताल परिसर में उत्तरी भाग में एएनएम स्कूल से पश्चिम पुराने जर्जर भवनों तोड़कर निर्माण कार्य शुरू किया गया है. भवन का निर्माण पूरी तरह से भूकंपरोधी किया जा रहा है.

जितनी जगह में एमसीएएच का निर्माण होगा उतने में जेसीबी के माध्यम से गड्ढा खोदकर भवन को पूरी तरह से भूकंपरोधी निर्माण करने की योजना है. फिलहाल फाउंडेशन का कार्य शुरू किया गया है.तीन मंजिला भवन में तमाम अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई है. एमसीएच में मातृ और शिशु के लिए 0 बेड की व्यवस्था होगी. इसके बन जाने से गंभीर रूप से बीमार नवजातों और उनकी माताओं को रेफर करने के झंझट से छुटकारा मिल जाएगा. उनका यहीं इलाज हो सकेगा. खासकर आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को राहत मिलेगी.

और वह निजी क्लिनिक में आर्थिक दोहन का शिकार होने से बचेंगे. एक ही छत के नीचे प्रसूता और नवजात के इलाज से जुड़ी सारी सुविधाएं उपलब्ध होंगी. इसमें अत्याधुनिक सुविधा, विशेषज्ञ चिकित्सकों के अलावे पैथोलॉजीकल जांच की भी व्यवस्था होगी. इस एमसीएच हॉस्पिटल शुरू होने पर जच्चा-बच्चा को बेहतर इलाज मिल सकेगा, जिससे मौतों में आएगी कमी. इधर, सदर अस्पताल अधीक्षक डॉ राजीव रंजन ने बताया कि अस्पताल परिसर में पुराने भवन को तोड़कर इसी जगह पर एमसीएच का निर्माण शुरू किया गया है.

प्रसूता और नवजात नहीं होंगे रेफर

सदर अस्पताल में प्रतिदिन 20 से 25 प्रसव होता है. उसके अनुपात में यहां बेडों की संख्या काफी कम है. नार्मल प्रसव होने के बाद प्रसूताओं को एक से दो दिन और सिजेरियन विधि से प्रसव होने के कारण प्रसूताओं को चार से पांच दिन वार्ड में ही रुकना होता है.वहीं कई बार जच्चा-बच्चा की स्थिति गंभीर होने पर उन्हें बेहतर इलाज के लिए रेफर करना मजबूरी होता है. रेफर के दौरान कई बार समय से इलाज नहीं मिल पाने के कारण जच्चा-बच्चा की रास्ते में ही मौत हो जाती है. अस्पताल के बन जाने पर इलाज के अभाव में असमय होने वाली मौतों को काफी हद तक रोका जा सकता है. फिलहाल तीव्रगति से निर्माण कार्य चल रहा है.

आईसीयू की सुविधा

एमसीएच में बेड की अलग से आईसीयू की सेवा उपलब्ध रहेगी. पहले से सदर अस्पताल में आईसीयू की सेवा नहीं रहने से और परेशानी होती है. खासकर प्रसूता और नवजात बच्चे आईसीयू की सेवा उपलब्ध हो जाने से रेफर नहीं होंगे.

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