बिहार के सरकारी विद्यालयों के प्रति बच्चों के अभिभावकों की अवधारणाएं-मृत्युंजय ठाकुर

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Update: 2022-12-10 11:11 GMT
बिहार। बिहार के सरकारी स्कूलों की दशा और दिशा दिन प्रतिदिन बदल रही है और यह संभव हो रहा है उक्त विद्यालय के शिक्षकों के अथक प्रयास से।लेकिन इन सब के बावजूद संबंधित विद्यालयों के पोषक क्षेत्र के अभिभावकों या यूं कहे कि लगभग सम्पूर्ण राज्य के सरकारी विद्यालय मे पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावक अभी भी शिक्षकों पर ही दोषारोपण लगाते है कि सरकारी विद्यालय मे बेहतर पढ़ाई नही होती है। इस संबंध मे मृत्युंजय ठाकुर(शिक्षक) नवसृजित प्राथमिक विद्यालय खुटौना यादव टोला,पताही,पूर्वी चम्पारण-सह-प्रदेश मीडिया संयोजक,टीचर्स ऑफ बिहार ने बताया कि अभिभावकों की अवधारणा बिल्कुल गलत है।हमारे सभी शिक्षक शत् प्रतिशत बेहतर शैक्षिक माहौल तैयार करने के लिए रोज नए नए तरीकों से बच्चों को पढ़ाते है साथ ही उनके बेहतर भविष्य निर्माण को लेकर दृढ़संकल्पित है। श्री ठाकुर ने कहा कि बच्चों के सर्वांगीण विकास मे केवल शिक्षकों की ही भूमिका नही होती है। अभिभावकों की भी समान जिम्मेदारियां बनती है।
जब तक शिक्षक और अभिभावक की समान सहभागिता बच्चों पर न पड़े तब तक बेहतर शिक्षा की परिकल्पना बेमानी सी लगती है।शिक्षक तो अपना बेहतर बच्चों के लिए लगातार देते आ रहे लेकिन अभिभावक की भूमिका अबतक संतोषजनक नजर नही आ रहा है। इसलिए अभिभावक खुद भी जिम्मेवार बने और बच्चों के विद्यालय आने से पहले एवं विद्यालय से जाने के बाद उनपर विशेष ध्यान देते हुए अपनी दायित्व का निर्वहन खुद भी इमानदारी पूर्वक करे। श्री ठाकुर ने कहा कि अगर राज्य के वैसे तमाम अभिभावक जिनके बच्चे सरकारी विद्यालय मे पढते है,अपने दायित्व का निर्वहन एक साल तक लगातार बच्चों के बेहतरी के लिए करके देखे तथा अवलोकन करे,वे खुद समझ जाएंगे कि शिक्षकों पर दोषारोपण लगाना तो आसान है पर अपने आप पर नही। बिहार के शिक्षक खासकर 2003 से अबतक बहाल नियोजित शिक्षक लगातार सरकारी स्कूलों मे बेहतर शैक्षिक माहौल तैयार करते आ रहे और आगे भी सरकारी स्कूलों की दशा और दिशा बदलने के लिए प्रतिबद्ध है बस जरूरत है अभिभावकों को अपना नजरिया बदलने की और शिक्षकों की तरह ही अपने बच्चो के बेहतर शिक्षा के लिए अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करने की।
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