आंखें बंद कर पैरों से भी चलाता है धनुष, लगाता है अचूक निशाना

Update: 2022-07-20 12:44 GMT

गया. अमूमन 9 साल के बच्चों से लोग पढ़ने-खेलने की बात कहते हैं, लेकिन गया में 9 साल के बच्चे का प्रतिभा आज पूरा देश देख रहा है. इस 9 साल के बच्चे में गजब की प्रतिभा है. सैकड़ों तरह का योग करने में ये माहिर है. जब स्केटिंग करता है तो मानो बड़े से बड़े स्कैटरर को भी पीछे छोड़ देता है. अब एक और कारनामा 9 साल का बच्चा रुद्र प्रताप सिंह कर रहा है. रुद्र अपने दोनों हाथ के बल खड़ा होकर पैर से धनुष उठा कर निशाना लगाता है. यही नहीं रूद्र प्रताप सिंह आंखों पर पट्टी बांधकर भी धनुष चलाता है और निशाना भी अचूक बैठता है.

रुद्र की इस काबिलियत के पीछे इनके पिता राकेश कुमार का बड़ा योगदान है. इनके पिता ही इनके लिए पिता गुरु और कोच हैं. रुद्र प्रताप बड़े-बड़े योग और स्केटिंग में गोल्ड मेडलिस्ट भी जीत चुके हैं. संभवत रुद्र प्रताप देश का पहला बच्चा है जो महज 9 साल की उम्र में 5 से 20 फीट का टारगेट करता है. रुद्र चैलेंज करता है कि कोई उसे नहीं हरा सकता है. तीरंदाजी में निश्चित तौर पर मेडल आएगा और ओलंपिक में भविष्य दिख रहा है. रुद्र चौथी कक्षा का छात्र है और अभी तक स्टेट, नेशनल का 20 से अधिक सर्टिफिकेट और मेडल जीत चुका है. ये मेडल उसे योग और स्केटिंग में मिले हैं.

रुद्र प्रताप सिंह बताता है कि एक विदेशी एथलीट महिला का वीडियो देखने के बाद उसे आर्चरी की प्रेरणा मिली. उसने इसमें भी विभिन्न प्रकार की प्रैक्टिस शुरू कर दी. सीधे तौर पर तीरंदाजी तो करता ही है साथ ही हाथ केबल उल्टा खड़ा होकर और उल्टी स्थिति में बंद आंखों से भी तीर चलाता है. वह बताता है कि योग को अपने आधार बनाया और महज एक महीने में तीरंदाजी को कमांड करने लगा. इस क्रम में 20 फीट तक निशान साधता है.

रुद्र के पिता राकेश कुमार सिंह बताते हैं कि वे जहानाबाद के खरका गांव के रहने वाले हैं. गया में वह बच्चे को पढ़ाने को लेकर बोधगया के राजापुर में रहते हैं. वे बताते हैं कि रुद्र प्रताप सिंह को योग से काफी लगाव था तो वह उनकी देखरेख में ही योग की प्रैक्टिस उसने शुरू की. आज करीब डेढ़ सौ से अधिक योगासनों में उसकी महारत है. इसके अलावा स्केटिंग में भी वह माहिर है.

बकौल राकेश कुमार सिंह अब रुद्र प्रताप सिंह आर्चरी में भी अपनी प्रतिभा दिखा रहा है. वह बताते हैं कि फिलहाल में तो टॉय आर्चरी से ही उसकी प्रैक्टिस चल रही है. कंपाउंड आर्चरी खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं क्योंकि इसमें करीब ढाई लाख रुपए खर्च होते हैं. अगर सरकार मदद करें तो निश्चित तौर पर देश के लिए रुद्र ओलंपिक में गोल्ड मेडल के अंदाज में ला सकता है.

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