किताब, कॉपी व पेंसिल हुई महंगी, कैसे पढ़ेंगे निजी स्कूलों के छात्र

Update: 2023-02-21 13:07 GMT

कटिहार न्यूज़: किताब-कॉपी और स्टेशनरी महंगी हो गई. गरीब बच्चों को निजी स्कूल में पढ़ना काफी परेशानी का कारण बन गया है. निजी स्कूल सीबीएसई के गाइडलाइन का उल्लंघन करते हुए एनसीईआरटी की किताब के बदले निजी प्रकाश की किताबें चलाते हैं. इसके लिए पुस्तकों को बेचने वाले दुकानदार अभी से ही निजी स्कूलों के निदेशकों का चक्कर लगाने लगे हैं.

इस कारण से निजी स्कूल में यदि गरीबी रेखा से नीचे यानि बीपीएल के बच्चे यदि सरकारी अधिकारियों के कहने पर नामांकन प्राप्त भी कर लेते हैं तो निजी स्कूलों द्वारा संचालित पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं. स्कूल प्रबंधकों के दबाब के कारण कुछ पुस्तक खरीदते हैं और कुछ पुस्तकों को खरीदे बिना ही परीक्षा देने को बाध्य होते हैं. निजी स्कूलों की पुस्तकें खरीदने में अभिभावकों को 2 हजार से 8 हजार तकखर्च करना पड़ता है जबकि एनईसीईआरटी की पुस्तकों को खरीदने में अधिकतम एक से डेढ़ हजार रुपये ही लगता है. बावजूद निजी स्कूलों के बच्चों को निजी प्रकाशन की पुस्तकें खरीदने के लिए कहा जाता है.

नर्सरी से 12वीं तक निजी प्रकाशन का रहता है स्कूलों पर दबदबा कमिशन का खेल रहने के कारण नर्सरी से लेकर 12वीं तक के छात्र-छात्राओं पर पुस्तक खरीदने के लिए निजी प्रकाशन का दबदबा रहता है. सबसे बड़ी बात यह है कि निजी स्कूल के संचालक ही पुस्तक दुकानदार को चिह्नित करते हैं. पूर्व से आपसी मिली भगत के कारण निजी प्रकाशन की पुस्तक की कीमत आसमान छूती रहती है.

Tags:    

Similar News