साढ़े तीन दशक में भाजपा के मत 16.65 प्रतिशत बढ़े

Update: 2024-04-06 08:19 GMT

पटना: बिहार में लोकसभा चुनावों में भाजपा के मतों में उतार-चढ़ाव होता रहा है. किसी चुनाव में पार्टी को रिकॉर्ड वोट मिले तो अगले ही चुनाव में वह घटकर लगभग आधा हो गए. पार्टी गठन को साढ़े चार दशक होने को है. अब तक पार्टी को रिकार्ड वोट मोदी लहर में 2014 में मिले. हालांकि पार्टी के गठन के बाद हुए पहले चुनाव की तुलना में भाजपा के मत प्रतिशत में चार गुना तक वृद्धि हुई है. लोकसभा चुनावों के विश्लेषण से यह भी पता चलता है कि पार्टी को गठबंधन में भी होने का लाभ मिला है.

गठन के बाद भाजपा ने पहला लोकसभा चुनाव 1984 में लड़ा. अविभाजित बिहार में उस समय पार्टी 32 सीटों पर चुनाव लड़ी. हालांकि सफलता नहीं मिली, लेकिन पार्टी को 6.92 फीसदी मत मिले. 1989 में पार्टी सीटों पर चुनाव लड़ी और आठ सीटों पर उसने जीत हासिल की. मत प्रतिशत भी दहाई अंकों में बढ़कर 11.72 फीसदी हो गया. 1991 के चुनाव में पार्टी ने 51 सीटों पर प्रत्याशी उतारे. पांच सीटों पर जीत हासिल हुई और मत प्रतिशत बढ़कर 15.95 फीसदी पहुंच गया.

1996 के लोकसभा चुनाव में पहली बार समता पार्टी के साथ चुनावी मैदान में उतरने वाली भाजपा 32 सीटों पर चुनाव लड़ी और 18 सीटों पर जीत हासिल हुई. उस वर्ष पार्टी को 20.54 फीसदी मत मिले. इसके बाद 1998 में 32 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली पार्टी को 20 सीटों पर जीत हासिल हुई. मत प्रतिशत बढकर .03 फीसदी हो गया. साल 1999 में हुए चुनाव में पार्टी 29 सीटों पर चुनाव लड़ी और उसे 23 सीटों पर जीत हासिल हुई. दल को 23.01 फीसदी मत मिले. इस तरह पार्टी को अधिक सीटें मिली पर मत प्रतिशत कम हो गए.

बिहार विभाजन के बाद 2004 में हुआ पहला लोकसभा चुनाव पार्टी के लिए मुफीद साबित नहीं हुआ. पार्टी 16 सीटों पर चुनाव लड़ी और सिर्फ पांच सीटों पर ही जीत हासिल हुई. भाजपा के मत प्रतिशत में भी गिरावट दर्ज की गई. दल को मात्र 14.57 फीसदी ही मत मिले. इसके पांच साल बाद 2009 का चुनाव सीटों के लिहाज से तो ठीक रहा लेकिन मत प्रतिशत घट गए. वर्ष 2009 में 15 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली पार्टी 12 सीटों पर जीत हासिल की लेकिन मत प्रतिशत 13.93 फीसदी ही रहा.

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