बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा के कहा है कि लगभग ढाई माह पूर्व विधानसभा सत्र काल में आश्वासन के बाबजूद 4 लाख नियोजित शिक्षकों के मामले में सरकार की चुप्पी रहस्यमय है. विजय सिन्हा ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा महागठबंधन में शामिल दलों की वैठक भी पिछले माह बुलाई गई, कहा गया कि नियोजित शिक्षकों की मांगों के संबंध में यह वैठक की गई. लेकिन किसी भी दल के प्रतिनिधि ने वैठक से बाहर आने के वाद सरकार द्वारा मांगों के मानने संबंधी कोई जानकारी नहीं दी. इस बैठक में न तो नियोजित शिक्षकों के प्रतिनिधि को वुलाया गया न ही बिहार शिक्षक संघ के किसी नेता को वुलाया गया.
विजय सिन्हा ने कहा कि अभी तक नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी के समान वेतनमान और सेवा शर्तों की भरपाई हेतु बजट में कोई प्राबधान नहीं किया गया है. सरकार फिर से इस मामले को किसी न किसी प्रकार उलझा कर रखना चाहती है. यदि सरकार की मंशा औऱ नीयत साफ होती तो नियोजित शिक्षकों का मामला कब का सुलझ गया होता. चुनावी फायदा के लिए सरकार कार्रवाई का दिखावा कर रही है.
विजय सिन्हा ने कहा कि नियोजित शिक्षकों के द्वारा राज्यकर्मी का दर्जा औऱ नियमित शिक्षकों के समान वेतनमान तथा सेवा शर्तों की मांग जायज औऱ नियम संगत है. समान काम के लिए समान वेतनमान की अवधारणा को वैधानिक मान्यता प्राप्त है. लेकिन आश्वासन देने के वाद भी सरकार द्वारा नियोजित शिक्षकों के प्रतिनिधि से इसपर चर्चा नहीं करना सरकार की मंशा पर सबाल खड़ा करता है.
विजय सिन्हा ने कहा कि जुलूस प्रदर्शन के दौरान नियोजित शिक्षकों पर दायर मुकदमा को सरकार वापस ले. इनके मांगो के समर्थन में भाजपा ने भी 13 जुलाई को विधानसभा मार्च किया था जिसमें पुलिस द्वारा बेरहमी से लाठीचार्ज किया गया था. भाजपा के एक कार्यकर्ता की जान भी चली गई. भाजपा नियोजित शिक्षकों के साथ खड़ी है. यदि सरकार द्वारा इनकी माँगो को मानने में उलझन पैदा की गई या आधा अधूरा माँग माना गया, तो एक बार फिर भाजपा सड़क से सदन तक इनकी लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है.
विजय सिन्हा ने कहा कि वैसे नियोजित शिक्षक जो बी पी एस सी की परीक्षा में शामिल हुए हैं उनके साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए. सभी नियोजित शिक्षकों को बिना किसी परीक्षा का राज्यकर्मी का दर्जा मिलना चाहिए. विजय सिन्हा ने कहा कि समान काम के वदले समान वेतन की वात महागठबंधन द्वारा घोषणा पत्र में भी की गई है. उपमुख्यमंत्री द्वारा इसे कई अवसरों पर वक्तव्य में दोहराया भी गया है. इसलिए सरकार को इस मामले में लटकाने भटकाने का चुनावी खेल नहीं करना चाहिए. राज्य के लाखों छात्र छात्राओं के भविष्य का ध्यान रखते हुए नियोजित शिक्षकों के मामलों का स्थायी समाधान होना चाहिये