बिहार: जातीय जनगणना पर बिहार में सियासी बयानबाजी जारी है. आरजेडी चीफ लालू यादव और बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाया है और कहा है कि बीजेपी चाहती ही नहीं है कि बिहार में जातीय जनगणना हो. लालू यादव ने कहा कि बीजेपी का जन्म ही पिछड़ा विरोध में हुआ है. बीजेपी कभी भी नहीं चाहती कि वंचित वर्गों का सामाजिक और आर्थिक उत्थान हो. किसी भी वर्ग के गरीबों के कल्याणार्थ हेतु बिहार सरकार द्वारा कोई सामाजिक सर्वे कराना गरीब विरोधी BJP को अनुचित कैसे लगता है?
वहीं, तेजस्वी यादव ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि जातिगत जनगणना पर केंद्र द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे पर बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने बताया, "उन्हें कोई ज्ञान नहीं है. इन्हें सिर्फ झूठ बोलना, सच को दबाना और अपने एजेंडे को सामने लाना आता है... यह साफ हो गया है कि भाजपा यह चाहती ही नहीं है कि जनगणना हो... यदि वे इतने ही पक्षधर हैं तो देशभर में (जातिगत जनगणना) करा लें, किसने रोका है.''
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर स्पष्ट कर दिया कि वह बिहार में जातीय सर्वे कराने के विरुद्ध नहीं है. उन्होंने कहा कि संवैधानिक दृष्टि से इस मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकार में कोई टकराव नहीं है, लेकिन राजद और जद-यू इस पर राजनीति कर रहे हैं. सुशील मोदी ने कहा कि बिहार सरकार ने भाजपा सहित सभी दलों की इच्छा के अनुरूप हाल में 17सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर जो सर्वेक्षण कराया, वह राज्य सरकार का अधिकार है. केंद्र सरकार ने कभी इसका विरोध नहीं किया.
उन्होंने कहा कि संविधान के सेंसस ऐक्ट की धारा-3 के अनुसार सेंसस (जनगणना) कराने का अधिकार केवल केंद्र सरकार का है और भाजपा का भी यही मत है. राज्य सरकार सर्वे करा सकती है. सुशील मोदी ने कहा कि पटना हाईकोर्ट में राज्य सरकार ने भी कहा कि वह सेंसस (जनगणना) नहीं, सर्वेक्षण करा रही है. उन्होंने कहा कि सेंसस और सर्वे मुद्दे पर केंद्र सरकार के हलफनामा दायर कर संवैधानिक स्थिति स्पष्ट कर देने के बाद किसी को अनर्गल आरोप नहीं लगाना चाहिए, लेकिन थेथरोलॉजी करने वालों को कौन रोक सकता है?
सुशील मोदी ने आगे कहा कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट मैं जातीय गणना के मुद्दे पर स्पष्ट कर दिया की राज्य सर्वे या आँकड़े इकट्ठा कर सकती है परंतु सेन्सस एक्ट के तहत सेन्सस का अधिकार केवल केंद्र का है.बिहार में जातीय सर्वे का मार्ग प्रशस्त हो गया. केंद्र को बधाई!