बिहार : 1,242 लोगों ने मिलकर चलाई एक गोली, 2 को मार डाला, FIR दर्ज!

Update: 2023-07-29 11:49 GMT
क्या एक गोली 1242 लोग मिलकर चला सकते हैं? सवाल ही सुनकर आपको अटपटा लगेगा लेकिन कटिहार पुलिस तो यही कह रही है. दरअसल, बीते दिनों बिजली विभाग के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन के दौरान 2 प्रदर्शनकारियों की गोली लगने से मौत हो गई थी. पहले तो एसपी और डीएम द्वारा दोनों लोगों की मौत के पीछे ये कहा गया था कि पुलिस द्वारा आत्मरक्षा में गोली चलाई गई थी और अब एक सीसीटीवी फुटेज जारी कर एसपी और डीएम द्वारा ये दावा किया जा रहा है कि एक शख्स के द्वारा दोनों लोगों पर गोली चलाई गई और दोनों की मौत हो गई. वहीं, सीसीटीवी फुटेज को देखकर बिल्कुल भी ऐसा नहीं लग रहा है कि जिस पर गोलीबारी का आरोप लगा है उसने गोली चलाई होगी. कटिहार जिले की पुलिस एक हाथ अब और आगे निकल गई है. पुलिस ने मामले में मुकदमा दर्ज कर लिया है.
 दरअसल, सीसीटीवी फुटेज में एक शख्स को ये कहते सुना जाता है कि एक ही गोली चली है और दो लोगों की मौत हो गई है. वहीं, प्रदर्शनकारियों ने ये दावा किया था कि पुलिस द्वारा 5 राउंड फायरिंग की गई थी और 2 की मौत हुई थी और 2 घायल हुए थे. एसपी-डीएम द्वारा पुलिस की गोलीबारी को आत्मरक्षा में उठाया गया कदम बताया गया था. एसपी द्वारा ये भी कहा गया था कि मामले में आरोपियों को चिन्हित करके कार्रवाई की जाएगी. पहले तो मामले में आरोपी नहीं मिल रहे थे और अब जब मिले हैं तो उनकी संख्या 1,242 है.
1,242 लोगों के खिलाफ FIR
गोली चली एक... आदमी मरे दो... पहले एसपी जांच के बाद कार्रवाई की बात कहते हैं और अब 1,242 लोगों के खिलाफ कटिहार गोलीकांड के मामले में एफआईआर दर्ज कर ली जाती है. जबकि, शायद ही इतने लोग प्रदर्शन में शामिल रहे होंगे. ऐसे में ये समझ नहीं आ रहा है कि जब घटना के तीन दिन पर एफआईआर दर्ज की गई है तो कम से कम मामले की जांच करने के बाद व आसामाजिक तत्वों को चिन्हित करने के बाद एफआईआर दर्ज की जाती. लेकिन ऐसा नहीं हुआ जो भी सामने आया उसके खिलाफ एफआईआर लिख दी गई है.
 आपको जानकर हैरानी होगी कि गोलीकांड के लिए पुलिस ने 42 लोगों को नामजद आरोपी बनाया है. इसके अलावा 1200 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. ऐसे में अब ये समझ नहीं आ रहा है कि 1200 अज्ञात लोगों के खिलाफ पुलिस क्या कार्रवाई करने वाली है? क्या इन्ही 1242 लोगों को पुलिस द्वारा आसामाजिक तत्वों के रूप में चिन्हित किया गया है. अगर ये 1242 आरोपी हैं तो पुलिस ने जो सीसीटीवी फुटेज जारी किया है उसमें दिख रहा आरोपी नकली है? या फि पुलिस लीपापोती करने के लिए जानबूझकर असली आरोपी जो कि संभवत: पुलिसकर्मी ही हो उसे ही बचाने के लिए 1242 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया है.
1242 लोग मिलकर कैसे चला सकते हैं एक गोली?
अब एक बड़ा सवाल ये भी उठ रहा है कि 1242 लोग मिलकर कैसे एक गोली चला सकते हैं? जबकि पुलिस सीसीटीवी फुटेज जारी करके एक शख्स को गोलीकांड के लिए दोषी ठहरा रही है. ये अलग बात है कि गोली चलाने वाले कथित आरोपी के हाथ में ना तो असलहा दिखा और ना ही कोई आपत्तिजनक हथियार. एक गोली से दो लोगों की मौत हो जाती है. कुल मिलाकर यहां ये कहना सही होगा कि पुलिस अपनी ही थ्योरी बार-बार बदल रही है और अब खुद के बुने हुए जाल में फंसती हुई नजर आ रही है. बात अगर जांच कर एफ.आई.आर. दर्ज करने की थी तो 1242 + 1 पुलिस द्वारा बताया गया आरोपी कैसे गोली चला सकते हैं.
तीन दिन बाद भी 'ढाक के तीन पात'
यानि कि घटना के तीन दिन तक जांच के बाद भी पुलिस अंधेरे में ही तीर चला रही है और सही आरोपी तक नहीं पहुंच पा रही है. ऐसे में सवाल ये उठता हैं कि जो 42 नामजद आरोपी हैं और 1200 अज्ञात आरोपी हैं और 1 जिसे पुलिस वास्तविक आरोपी मान रही है इस प्रकार 1243 लोगों का भविष्य क्या होगा? जिले के डीएम एसपी अपनी ही थ्योरी लगातार बदल रहे हैं. कभी कुछ तो कभी कुछ बयान दे रहे हैं. कभी जांच कर आरोपियों को चिन्हित करने की बात करते हैं... तो कभी सीसीटीवी फुटेज जारी कर आरोपी की पहचान करने लेने की बात कहते हैं.. और अब 1242 लोगों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कर लेते हैं. ऐसे में सच कैसे सामने आएगा? ये अपने आप में बड़ा सवाल है.
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