Bhagalpur: वन विभाग की शर्तें सड़क निर्माण और चौड़ीकरण में बनीं बाधा

वन विभाग हर रोज नई-नई शर्तें सामने ला रहा है

Update: 2024-08-24 06:44 GMT

भागलपुर: बिहार में सड़कों के निर्माण और चौड़ीकरण पर ग्रहण लग सकता है. खासकर जिस तरह से वन विभाग हर रोज नई-नई शर्तें सामने ला रहा है, उससे राज्य में सड़क के विस्तारीकरण पर ग्रहण लग सकता है. एक बार फिर वन विभाग ने सड़क निर्माण में पेड़ों की कटाई-छंटाई पर रोक लगाने की बात कही है.

विभागीय मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी सहित अन्य को पत्र लिखकर इस ओर ध्यान आकृष्ट कराया है. वन विभाग का कहना है कि राज्य में वन भूमि एवं सरकारी गैर वन भूमि पर सड़क चौड़ीकरण व निर्माण से पेड़ों की कटाई हो रही है. निर्माण एजेंसियों की ओर से धड़ल्ले से पेड़ों को काटा जा रहा है. राज्य की अधिकतर सड़कों को वृक्षविहीन कर दिया जा रहा है. इसलिए सड़क निर्माण और चौड़ीकरण के लिए अतिरिक्त जमीन का अधिग्रहण हो ताकि सड़क निर्माण के बाद बची जमीन पर पेड़ लगाया जा सके. सड़क चौड़ीकरण दोनों ओर किया जाता है. इसलिए पुरानी सड़क को एक ही ओर चौड़ा किया जाए, जिससे पुरानी सड़कों के किनारे लगे पेड़ों को बचाया जा सके. दोनों ओर सड़क चौड़ी करनी है तो अतिरिक्त जमीन का अधिग्रहण हो. इस बाबत गया का उदाहरण देते हुए विभाग ने कहा है कि 70 हजार पेड़ काटे जा रहे हैं. इसलिए ऐसी सड़कों के डिजाइन में परिवर्तन किया जाए. सड़क किनारे लगे पेड़ों को हर हाल में संरक्षित किया जाए.

वन मंत्री की ओर से भेजा गया पत्र पथ निर्माण विभाग को प्राप्त हुआ है. विभाग अब पसोपेश की स्थिति में है कि सरकार का एक विभाग सड़क निर्माण कराना चाह रहा है तो दूसरी ओर एक अन्य विभाग उसमें हर रोज नई-नई शर्तें थोप रहा है. अगर वन विभाग की शर्तों को हू-ब-हू मान लिया जाए तो राज्य में सड़क निर्माण या चौड़ीकरण असंभव हो जाएगा. चूंकि राज्य में अभी सड़कों की सम्पर्कता तो हो गई है लेकिन आबादी के घनत्व को देखते हुए सड़कों का चौड़ीकरण बेहद जरूरी है. चौड़ीकरण के लिए विभाग को अभी आंशिक जमीन अधिग्रहण की आवश्यकता होती है. अगर वन विभाग की शर्तों को मान लिया जाए तो विभाग को नए सिरे से जमीन अधिग्रहण की आवश्यकता होगी. यह सर्वविदित है कि बिहार में सबसे अधिक समस्या जमीन की है. पथ निर्माण विभाग का यह भी कहना है कि क्या जंगल केवल सड़क किनारे ही है. अनुपयोगी भूमि चिह्नित कर उन इलाकों में भी वन विभाग नए सिरे से पेड़-पौधे लगा सकता है.

बिहार राज्य पथ विकास निगम के सेवानिवृत्त मुख्य महाप्रबंधक संजय कुमार ने कहा कि विकास बलिदान मांगता है. देश के अन्य राज्यों की तुलना में बिहार में अभी भी सड़कों की लंबाई-चौड़ाई कम है. अगर वन विभाग की शर्तों को मान लिया जाए तो एलिवेटेड निर्माण करना होगा और इसमें भारी राशि खर्च करनी होगी. बेहतर होगा कि वन विभाग किसी और इलाके को चिह्नित कर पेड़-पौधा लगाए और सड़क निर्माण में नियम को और शिथिल करे.

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