Begusarai: पुस्तकालय भवन में चल रहा सीडीपीओ का कार्यालय

दो मंजिला जगदेव पुस्तकालय भवन में न तो एक भी पुस्तक है और न ही कोई उपस्क

Update: 2024-06-27 06:31 GMT

बेगूसराय: दो दशक पहले प्रखंड मुख्यालय में बनाए गए दो मंजिला जगदेव पुस्तकालय भवन में न तो एक भी पुस्तक है और न ही कोई उपस्कर. कहने को यह भवन पुस्तकालय भवन है पर इस भवन का उपयोग पुस्तकालय के रूप में नहीं हो रहा है.

इसके निचली मंजिल में कचरों का भंडार है जिसमें तालाबन्द रहता है जबकि ऊपरी मंजिल में बाल विकास परियोजना कार्यालय चलाया जा रहा है. प्रखण्ड स्तरीय पुस्तकालय को जीवंत करने का सपना अधूरा रह गया. इस पुस्तकालय को धरातल पर उतारने का भरोसा देने वाले तत्कालीन पदाधिकारियों के अन्यत्र स्थानांतरण हो जाने से यह मामला अब ठंढे बस्ते में चला गया है.

सरकारी तंत्र की उपेक्षानीति का शिकार बन चुका यह पुस्तकालय भवन अब बुद्धिजीवियों को अपना मुंह चिढ़ा रहा है. जानकारी के अनुसार लगभग दो दशक पहले बिहार सरकार के तत्कालीन गन्ना विकास राज्य मंत्री व स्थानीय विधायक अशोक कुमार के सौजन्य से व विधायक निधि के लाखों रुपए से प्रखंड मुख्यालय में दोमंजिला जगदेव पुस्तकालय भवन का निर्माण करवाया गया था.

परन्तु इस पुस्तकालय भवन में अबतक न तो उपस्कर की व्यवस्था हुई है और न ही पुस्तकों की व्यवस्था ही की गई. इस भवन का निर्माण कार्य अपने उद्देश्य से भटक गया. सरकारी तंत्रों ने पुस्तकालय को जीवंत करने के बजाय इस भवन में सरकारी कार्यालय सन्चालित करवा दिया.

पूर्व के प्रखंड पुस्तकालय का मिट गया अस्तित्व: सेवानिवृत्त शिक्षक मेघौल गांव निवासी चंद्रशेखर चौधरी ने जानकारी देते हुए बताया कि लगभग 4 दशक पहले खोदावंदपुर प्रखण्ड मुख्यालय में प्रखण्ड स्तरीय एक पुस्तकालय था. इस पुस्तकालय में सैकड़ों दुर्लभ व कीमती पुस्तकें थी. जिसे पढ़ने के लिए स्थानीय लोगों के अलावा दूर दराज के लोग भी यहां आते थे. इस पुस्तकालय की समुचित व्यवस्था के लिए व्यवस्थापक थे. जिनके कुशल मार्गदर्शन में पुस्तकालय का कामकाज चलता था. परन्तु धीरे धीरे यह पुस्तकालय उपेक्षानीति का शिकार हो गया. रख रखाव व उपस्कर के अभाव में इसकी पुस्तकें दीमकों की भेंट चढ़ गई. इस पुस्तकालय का अस्तित्व समाप्त हो गया. उन्होंने बताया कि क्षेत्र के बुद्धिजीवियों की मांग पर दो दशक पहले तत्कालीन स्थानीय विधायक व पूर्व मंत्री अशोक कुमार ने खोदावंदपुर प्रखंड मुख्यालय में पुस्तकालय भवन बनवाया परन्तु पुस्तकों व उपस्करों की व्यवस्था नहीं हो पाई. आज यह पुस्तकालय भवन केवल एक सरकारी भवन बनकर रह गया है.

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