सभी अनुमंडल अस्पतालों में अब होंगे 50-50 बेड

Update: 2023-03-14 10:42 GMT

पटना न्यूज़: राज्य के अनुमंडल अस्पतालों में बेड की संख्या कम से कम 50 होगी. निचली स्वास्थ्य इकाइयों में अधिक से अधिक मरीजों को चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध हो सके, इस दिशा में स्वास्थ्य विभाग काम कर रहा है. इस साल छह अनुमंडल अस्पतालों में 50-50 बेड के भवन बनकर तैयार हो जाएंगे.

राज्य में अनुमंडलीय अस्पतालों की संख्या 91 है. विभाग ने तय किया है कि सभी अनुमंडलीय अस्पतालों में कम से कम 50 बेड की सुविधा हो ताकि गंभीर मरीजों को भर्ती किया जा सके. अभी अधिकतर अस्पतालों में पांच से पंद्रह तक बेडों की संख्या है. इसलिए विभाग ने चरणवार तरीके से इसपर काम करना शुरू कर दिया है. इसी के तहत राज्य के छह अनुमंडलीय अस्पताल में 50 शैय्या के भवन निर्माण की स्वीकृति वर्ष 2018-19 में दी गई थी. पूर्वी चम्पारण में रक्सौल व सिकरहना ढाका का इसके लिए चयन किया गया. इसी तरह दरभंगा में विरौल, खगड़िया में गोगरी और सुपौल में वीरपुर व त्रिवेणीगंज अनुमंडल अस्पताल का चयन किया गया. इन छह अनुमंडलीय अस्पतालों में 50 बेड का भवन बनाने के लिए विभाग ने एक अरब पांच करोड़ 22 लाख की मंजूरी दी थी. उस वर्ष से लगातार अस्पताल निर्माण के लिए राशि जारी की जाती रही. अब मौजूदा वित्तीय वर्ष 2022-23 में विभाग ने बची हुई राशि 19 करोड़ 30 लाख भी जारी कर दी है ताकि अस्पताल के भवन का निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाए. अस्पताल भवन का निर्माण बिहार चिकित्सा सेवाएं एवं आधारभूत संरचना निगम लिमिटेड (बीएमएसआईसीएल) के माध्यम से कराया जा रहा है. भवन निर्माण में बेड के साथ ही मरीजों से जुड़ी सभी आधारभूत सुविधाओं का भी निर्माण किया जा रहा है.

मेडिकल कॉलेज व सदर अस्पतालों का कम होगा बोझ: राज्य के मेडिकल कॉलेज और जिला (सदर) अस्पतालों पर अभी मरीजों का काफी बोझ है. रेफरल, अनुमंडल अस्पतालों में उपचार कराने वाले मरीजों को अगर जरा सी गंभीर बीमारी हो तो उसे जिला या मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया जाता है. इसलिए सरकार ने योजना बनाई है कि अति गंभीर मरीजों को ही मेडिकल कॉलेज या जिला सदर अस्पतालों में उपचार हो. इसके लिए हाल ही में स्वास्थ्य विभाग ने मेडिकल कॉलेज की तर्ज पर जिला अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति की है. अब सदर अस्पताल से नीचे अनुमंडल अस्पतालों में 50 बेड की संख्या की जा रही है. ऐसा होने से मामूली रूप से बीमार मरीजों को भर्ती कर उपचार किया जा सकेगा. लोगों को जिला सदर अस्पताल या मेडिकल कॉलेज में जाने की जरूरत नहीं होगी.

अनुमंडल अस्पतालों में 50 मरीज से अधिक होने पर ही लोगों को ऊपरी स्वास्थ्य संस्थानों में आकर उपचार कराने की मजबूरी होगी.

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