पीएमसीएच की लापरवाही के कारण हवा हुई प्रदूषित
राजधानी पटना में बढ़ता वायु प्रदूषण (Air Pollution In Patna) सभी के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. हाल के दिनों में हवा में नमी की वजह से पटना में हवा प्रदूषित हो चुकी है
जनता से रिश्ता। राजधानी पटना में बढ़ता वायु प्रदूषण (Air Pollution In Patna) सभी के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. हाल के दिनों में हवा में नमी की वजह से पटना में हवा प्रदूषित हो चुकी है (Poor Air Quality Index In Patna) चिंताजनक हो गया है. वहीं पीएमसीएच का पुनर्निर्माण (Reconstruction Of PMCH) कार्य इस समस्या को और बढ़ा रहा है. पुराने बहुमंजिला इमारतों को ध्वस्त करने का काम चल रहा है लेकिन इस दौरान सारे नियमों को ताक पर रख दिय गया है. जिसके कारण लोगों की परेशानी और बढ़ गई है.
पीएमसीएच के पुनर्निर्माण का कार्य चल रहा है और इसके तहत 1700 बेड के अस्पताल को 5400 बेड का अस्पताल बनाया जा रहा है. इसके लिए अस्पताल की पुराने बहुमंजिला इमारतों को ध्वस्त किया जा रहा है ताकि, उस जगह पर नई बहुमंजिला इमारत बनाई जा सके. अस्पताल के पुनर्निर्माण कार्य के तहत पुराने बहुमंजिला इमारतों को क्रेन के माध्यम से ध्वस्त किया जा रहा है. लेकिन इमारतों को ध्वस्त करने की प्रक्रिया के दौरान पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के नियमों का पालन नहीं ( Violation Of PCB Rules By PMCH ) किया जा रहा है.पीएमसीएच के पुरानी इमारतों को ध्वस्त (PMCH Old Building Demolition) करने के दौरान ग्रीन कपड़े का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. इसके कारण ध्वस्त हो रहे इमारतों के मलबे, धूल कण के रूप में अस्पताल के पूरे परिसर में बिखर गए हैं. ऐसे में पीएमसीएच का पुनर्निर्माण कार्य अस्पताल परिसर में फेफड़े जनित कई गंभीर रोगों को आमंत्रित कर रहा है.
पीएमसीएच परिसर में जिस जगह लापरवाही के साथ पुराने बहुमंजिला इमारतों को ध्वस्त किया जा रहा है, वहां से 50 मीटर की दूरी पर अस्पताल के इमरजेंसी विभाग, प्रसूति विभाग, नवजात शिशु विभाग और कैंसर विभाग जैसे कई सेंसिटिव रोगों के डिपार्टमेंट हैं. ठंड का मौसम शुरू होते ही छोटे बच्चों में निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है. इसके साथ ही बुजुर्गों और कोमोरबिडों को दमा, अस्थमा और कार्डियक अरेस्ट के मामले भी बढ़ जाते हैं. ऐसे समय में जब प्रदूषण अधिक हो जाता है तो यह बुजुर्गों, बच्चों और कोमोरबिड लोगों के लिए और अधिक खतरनाक हो जाता है. क्योंकि हवा में मौजूद हेवी डस्ट पार्टिकल, रोग को और तेजी से बढ़ाता है.
पटना के मशहूर फिजीशियन डॉ दिवाकर तेजस्वी ने बताया कि पटना में अभी के समय एयर क्वालिटी इंडेक्स काफी खराब है और यह 300 से 400 के बीच रह रही है. बिना सावधानी के चल रहे निर्माण कार्यों की वजह से हवा में पीएम 2.5 के कण काफी अधिक फैल गए हैं और यह सांस के माध्यम से लोगों के फेफड़े में आसानी से जा रहे हैं.
एयर क्वालिटी इंडेक्स मानक
अच्छा (Good) 0-50
संतोषजनक (Satisfactory) 51-100
औसत (Moderate) 101-200
खराब (Poor) 201-300
बहुत खराब (Very Poor) 301-400
"प्रदूषित हवा लोगों के लिए काफी घातक साबित हो सकता है. फेफड़े में जब इंफ्लेम्ड पार्टिकल सांस के माध्यम से पहुंचते हैं तो फेफड़े में सूजन आ जाती है और इससे दमा अस्थमा और निमोनिया जैसी बीमारियों का खतरा काफी बढ़ जाता है. हालिया शोध से पता चला है कि पॉल्यूशन के वजह से कार्डियक अरेस्ट का भी खतरा बढ़ा है."- डॉ दिवाकर तेजस्वी,फिजीशियन
फिलहाल पटना की हवा में सांस लेना दूभर हो रहा है. ऐसे में सरकार को इफेक्टिव एक्शन प्लान बनाने की जरूरत है. ताकि आने वाले समय में लोगों को गंभीर बीमारियों से जूझना (Poor AQI Affect In Patna) ना पड़े. बता दें कि 20 नवंबर को ही पटना के दो प्रमुख जगहों पर इंडिकेटर 300 से ऊपर रिकॉर्ड किया गया है. ईटीवी भारत ने सीपीसीबी के ऐप के जरिए भी इसे चेक किया, जिस पर रियल टाइम आंकड़े उपलब्ध हैं. इसके मुताबिक सबसे ज्यादा पेड़ वाले स्थान संजय गांधी जैविक उद्यान और इको पार्क के पास भी इंडेक्स 300 से पार रहा. पीएम 2.5 एयर क्वालिटी इंडेक्स रेड लेवल तक पहुंच गया है.