पटना: एक तरफ जहां कुछ दंपती अपनी रूढ़िवादी सोच या किसी मजबूरी में बेटियों को जन्म देने के बाद छोड़ देते हैं तो वहीं दूसरी ओर कुछ दंपती बेटियों को ही अपना सहारा बनाने के लिए उन्हें गोद लेना पसंद कर रहे हैं.
बिहार के दत्तक ग्रहण संस्थानों में जहां एक तरफ परित्यक्त बालिकाओं की संख्या अधिक है, तो दूसरी तरफ गोद लेने के इच्छुक दंपती की भी पसंद बेटियां ही हैं. केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधीकरण (कारा) के वर्ष 23-24 के आंकड़े बताते हैं कि इस वर्ष बिहार में गोद लिए गए बच्चों में 66 प्रतिशत बेटियां हैं. आंकड़ों के मुताबिक बिहार में इस वर्ष 108 बच्चे गोद लिए गए हैं. गोद लिए गए बेटियों की संख्या 99 है. वहीं बेटों की संख्या 49 है.
यह ऐसी बालिकाएं हैं जिन्हें समाज कल्याण के अंतर्गत बाल संरक्षण इकाई की टीम द्वारा रेस्क्यू कर दत्तक ग्रहण संस्थानों में रखा गया. ये बच्चे छोड़े हुए, सड़कों पर भटकते हुए पाए गए या वैसे हैं जिनके सिर से माता-पिता का साया उठ गया है. बिहार में 40 दत्तक ग्रहण संस्थान संचालित हैं. जिनमें वर्तमान में करीब 0 बच्चे रह रहे. जिनमें आधे से अधिक बेटियां हैं. वर्ष 22-23 में बिहार में कुल 111 बच्चें गोद लिए गए थे, जिनमें 71 बेटियां और 40 बेटे थे. वहीं वर्ष 21-22 में 1 बच्चे गोद लिए गए थे, जिनमें 72 बेटियां और 42 बेटे थे. बता दें कि बाल संरक्षण इकाई की ओर से ऐसे बच्चों को संरक्षण दिया जाता है. इनकी अच्छी परवरिश और इन्हें माता- पिता के स्नेह मिल सके.
, इसके लिए गोद लेने के लिए आवेदन करने वाले दंपती की पूरी जांच के बाद उन्हें बच्चा सौंपा जाता है.