इन पर बनेगी 15 मिनट की डॉक्यूमेंट्री फिल्म, कस्तूरबा विद्यालय की 16 बच्चियों ने तैयार किया ब्रिलियंट बैंड
बिहार में सारण जिले के गरखा में स्थित कस्तूरबा विद्यालय की 16 बच्चियों ने मिलकर एक अनोखा बैंड तैयार किया है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बिहार में सारण जिले के गरखा में स्थित कस्तूरबा विद्यालय की 16 बच्चियों ने मिलकर एक अनोखा बैंड तैयार किया है। इसका नाम ब्रिलियंट बैंड है। इसमें कक्षा 6 से 12 की छात्राएं शामिल हैं। पूरे राज्य में एकमात्र इस कस्तूरबा स्कूल की छात्राओं ने यह कारनामा किया है। बिहार शिक्षा परियोजना परिषद डाक्यूमेंट्री फिल्म तैयार कर रहा है। 15 मिनट की इस फिल्म को राज्य के सभी 634 कस्तूरबा विद्यालय की बच्चियों को दिखाया जायेगा।
गरीब परिवार की बच्चियां बना रहीं खुद की धुनें
बिहार शिक्षा परियोजना परिषद की मानें तो हर कस्तूरबा विद्यालय में इस तरह का बैंड शुरू किया जाएगा। इससे बच्चियों में आत्मविश्वास आएगा। इस स्कूल की तरह हर स्कूल का अपना बैंड होगा। स्कूल के जिला कोआर्डिनेटर शंभू कुमार ने बताया कि ये बच्चियां आर्थिक रूप से कमजोर हैं। किसी के पिता रिक्शा तो किसी के पिता ठेला चलाते हैं। बैंड का नाम तक नहीं सुनने वाली ये बच्चियां अब खुद का धुन भी बनाना सीख रही हैं।
खुद का बैंड होने से स्कूल का हर कार्यक्रम बढ़िया होता है। स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस के साथ हर कार्यक्रम में छात्राओं की बैंड टीम शामिल होती है। हर कार्यक्रम से पहले बच्चियां उसका धुन तैयार करती हैं। बच्चियों द्वारा तैयार धुन को ही बजाया जाता है।
ब्रिलियंट बैंड में स्कूल की छात्रा आरती कुमारी और ममता बड़ा ड्रम बजाती हैं। वहीं गुड्डी कुमारी ग्रुप लीडर हैं। खुशी और सीमा छोटा ड्रम बजाती हैं। झाल और झुनझुना सिद्धि, रूपा, गुंजा और राखी बजाती हैं। वहीं पूजा कुमारी और अनुरानी का काम ताल का है।
बैंड के लिए इंस्ट्रूमेंट खरीदने में 26 हजार रुपये हुए खर्च
गरखा के कस्तूबरा विद्यालय के प्राचार्य अखिलेश्वर पाठक ने बताया कि बच्चियों को पहले प्रशिक्षण दिया गया। जिन्हें संगीत में रुचि थी, उनका चयन किया गया। बैंड में जितने तरह के इंस्ट्रूमेंट होते हैं, उसकी खरीदारी स्कूल को सरकार की तरफ से मिलने वाली मेटिनेंस की राशि से की गई। इसमें लगभग 26 हजार रुपये का खर्च आया।
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