जिला परिषद की 700 योजनाओं पर लगा ग्रहण
वित्त आयोग की ओर से जारी राशि फिलहाल नहीं हो सकेगी खर्च
पटना: जिला परिषद की 700 योजनाओं पर ग्रहण लग गया है. अब ये योजनाएं क्रियान्वित नहीं हो पाएंगी, क्योंकि परिषद में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष की कुर्सी खाली है. ऐसे में अभी बैठक नहीं बुलाई जा सकती है. अब इन योजनाओं की स्वीकृति लोकसभा चुनाव के बाद ही मिलने की संभावना है. इधर 15वें और छठवें वित्त आयोग द्वारा भेजे गए करीब 27 करोड़ रुपए इस वित्तीय वर्ष में खर्च नहीं हो पाएंगे.
जिला परिषद अध्यक्ष कुमारी स्तुति के विरुद्ध लाए गए अविश्वास प्रस्ताव और इसे लेकर की गई बैठक तथा मतदान प्रक्रिया का मामला पंचायती राज विभाग में विचाराधीन है. इसीलिए निवर्तमान अध्यक्ष कोई भी संचिका का निष्पादन नहीं कर रही हैं. यही स्थिति उपाध्यक्ष पद को लेकर है. अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के बाद यह पद भी रिक्त हो गया है, जिसके कारण जिला परिषद की कोई भी फाइल मूर्त रूप नहीं ले पा रही है. किसी भी योजना को क्रियान्वयन करने के पहले जिला परिषद की सामान्य बैठक में उसे पारित करना जरूरी होता है अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के नहीं होने के कारण परिषद की बैठक नहीं बुलाई जा सकती है. तकनीकी कारण से जिला परिषद में योजनाओं के क्रियान्वयन का काम ठप पड़ा हुआ है. पटना जिले में ग्रामीण क्षेत्रों में नली गली पक्कीकरण आहार पोखर मरम्मत आदि कार्य के लिए 15वें वित्त आयोग द्वारा 17 करोड़ तथा छठवें वित्त आयोग के द्वारा करोड़ आवंटित किया गया है. यह राशि तभी खर्च हो सकती है जब अध्यक्ष या उपाध्यक्ष में से कोई एक योजनाओं की स्वीकृति के लिए जिला परिषद की सामान्य बैठक बुलाए.
पटना जिला परिषद के इतिहास में पहली बार हुआ है जब एक साथ अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों काम नहीं कर रहे हैं. अधिकारियों का कहना है कि सदस्यों द्वारा चयनित योजनाओं की संख्या बढ़ती जा रही है लेकिन परिषद की बैठक नहीं होने के कारण उसे ना प्रशासनिक स्वीकृति मिल रही है और ना ही तकनीकी स्वीकृति. ऐसी स्थिति में यदि लोकसभा चुनाव को लेकर आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है तो चयनित योजनाओं की स्वीकृति अब जिला परिषद की सामान्य बैठक में ही संभव है जो चुनाव बाद होगी. तब तक ग्रामीण क्षेत्रों में नली-गली पक्कीकरण या अन्य कार्य ठप रहेगा.