20 साल की सजा, पाकिस्तान कनेक्शन भी आया सामने

Update: 2022-07-30 13:54 GMT

पटना/मोतिहारी : विशेष NIA अदालत ने जाली नोटों की तस्करी के मामले में एक दोषी को 20 साल की सश्रम कारावास के साथ 75 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। एनआईए की विशेष अदालत के न्यायाधीश गुरविंदर सिंह मल्होत्रा ने मामले की सुनवाई की। मोहम्मद अली अख्तर अंसारी उर्फ अली अख्तर आलम को अलग-अलग धाराओं में दोषी करार दिया गया। फिर 20 साल के सश्रम कारावास के साथ 75 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माने की राशि अदा नहीं करने पर दोषी को छह महीने के कारावास की सजा अलग से भुगतनी होगी।

मोतिहारी जाली नोट मामले में सजा का ऐलान

पूर्वी चंपारण जिले में नकली भारतीय नोटों (एफआईसीएन) की तस्करी के आरोप में एक नेपाली नागरिक को दोषी ठहराया गया था। इसमें बताया गया था कि मोहम्मद अली अख्तर अंसारी के रूप में पहचाने जाने वाले व्यक्ति को भारत में एफआईसीएन के प्रसार में शामिल होने के लिए दोषी पाया गया। उसके पास से हाई क्वालिटी के जाली नोट वाला पार्सल जब्त किया गया था। जिसका मूल्य लगभग 25 लाख रुपए था।

भारत में नकली नोट के लिए इंटरनेशनल साजिश

एनआईए ने कहा कि दोषी 30 सितंबर 2015 को रक्सौल में एफआईसीएन की खेप की डिलीवरी लेने आया था और बाद में उसे गिरफ्तार कर लिया गया। जांच में पाया गया कि जब्त किए गए नकली नोट की तस्करी विदेश से भारत में की गई थी। ये खेप नेपाल के अबी मोहम्मद उर्फ नबी मोहम्मद के सुपुर्द की जानी थी। ये पता चला कि सैयद मुहम्मद शफी (एक पाकिस्तानी नागरिक) जो अब संयुक्त अरब अमीरात में रह रहा है, उसने अंतरराष्ट्रीय कुरियर सेवा के माध्यम से पार्सल भेजा था।

नेपाल के बारा का रहनेवाला है सजायाफ्ता अली अख्तर

सजायाफ्ता अली अख्तर अंसारी नेपाल के बारा जिले के हरिहरपुर गांव का रहने वाला है। अली अख्तर को डीआरआई की टीम ने जाली नोट के साथ पकड़ा था। टीम ने उसके पास से 25 लाख 43 हजार रुपए के भारतीय नकली नोट बरामद किए थे, जो पांच सौ रुपए के भारतीय नकली नोट थे। ये मामला 24 सितंबर 2015 का है। जांच के बाद आरोपी अली अख्तर के खिलाफ एनआईए कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की गई थी।



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