बिहार के 1.73 लाख मवेशियों को लगेगा लम्पी से बचाव का टीका
मवेशियों को टीका लगाने के लिए 254 निजी टीकाकर्मियों को लगाया गया
नालंदा: लम्पी त्वचा रोग से बचाव के लिए एक लाख 73 हजार चार सौ मवेशियों को टीका लगाया जाएगा. अभियान की शुरुआत 15 से होगी. गांव-गांव जाकर मवेशियों को टीका लगाने के लिए 254 निजी टीकाकर्मियों को लगाया गया है. टीका मुफ्त लगेगा.
अभियान के तहत सिर्फ गाय, बैल और बछड़े (छह मह से ऊपर) को ही टीका लगेगा. वजह है कि लम्पी की चपेट में गाय प्रजाति के मवेशी आते हैं. खास यह भी कि जिन गायों को लम्पी रोग हो चुका है, उसे टीका नहीं दिया जाएगा. बीमार मवेशी को भी टीका नहीं लगाना है. पशु चिकित्सक डा. रामप्रवेश राम ने बताया कि लम्पी संक्रामक बीमारी है. यह मच्छर व मक्खी द्वारा एक पशु से दूसरे पशु में फैलती है. बीमारी के उपचार के लिए कोई स्पेशल दवा नहीं है. सिमटम के अनुसार बीमार पशुओं को दवाइयां दी जाती हैं. राहत यह कि बीमार पशुओं के रिकवरी रेट 90 फीसद से ज्यादा है. हालांकि, समय पर उचित इलाज न होने पर कुछ मवेशियों की जान भी चली जाती है. लम्पी की चपेट में दो सौ से ज्यादा मवेशी आये थे. समय पर उपचार न होने के कारण दस से ज्यादा की मौत हो गयी है.
बीमारी के लक्षण :मवेशियों को टीका लगाने के लिए 254 निजी टीकाकर्मियों को लगाया गया
1. बीमार पशु को तेज बुखार 2. आहार खाने में परेशानी 3. त्वचा में मोटी-मोटी गांठ 4. कमजोरी व दूध में कमी. 5. त्वचा के घाव कई दिनों या महीनों तक बने रह सकते हैं 6. मादा पशुओं का गर्भपात हो जाता है 7. आंख व नाक से पानी आना .
राहत यह कि अब बीमारी का प्रभाव कम हो गया है. बीमार मवेशियों के स्वस्थ्य होने से पालकों की चिंता कम हुई है. सच्चाई यह भी कि समय पर इलाज न होने के कारण कई मवेशियों की जान भी चली गयी थी.